मानव सांसरिक सुख मिलते ही जीवन की चुनौती भूल जाता
एक बार एक राजा युद्ध में हार गया। दुश्मन के सैनिक उसके पीछे लगे थे। वो भाग रहा था। अचानक एक जगह गहरी खाई आ गई। आगे रास्ता नहीं था। खाई की ओर झूककर देखा तो नीचे दो शेर उसकी ओर मुंह बाएं खड़े थे।
उसे लगा कि खाई में नीचे की ओर जाते ही शेर उसे खा जाएंगे। वापिस भागेगा तो दुश्मन के सैनिक उसे मारेंगे। वह एक पेड़ से लटक गया। सोचा हो सकता है सैनिकों का ध्यान इस ओर ना आए।
तभी एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा। इतना जोर से कि लग रहा था कि हाथी पेड़ को उखाड़ना ही चाहता है। भयभीत राजा को लगा कि मौत अब तो आने ही वाली है।
तभी पेड़ पर लगे एक मधु छाते से मधु की बूंदे उसके ओठों पर गिरने लगी और वह मधु को चाटने लगा। मधु की मिठास में वह दुश्मन के सैनिकों को भी भूल गया। और शेरों को भी। हाथियों से पेड़ उखड़ने का भय भी उसे नहीं रहा।
ठीक उसी प्रकार मानव भी सांसरिक मधु मिलते ही जीवन की चुनौतियों को भूल जाता है। और उसके साथ लगे हुए अज्ञान रुपी दुश्मनों से बेखबर हो जाता है।