24सी न्यूज। जब कोई बहुत अधिक मानसिक परेशानियों से घिर जाता है तो एकदम अवसाद की ओर चला जाता है इसी अवसाद की वजह से लोग जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। हर साल लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। यह स्थिति बहुत डराने वाली है। इससे पता चलता है कि आज के टाइम में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव है। इस डेटा के मुताबिक दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग वाले देशों के लोग करते हैं।
युवाओं में है ये ज्यादा घातक
युवा वर्ग आत्महत्या जैसे घातक कदम ज्यादा उठाते हैं। इसकी कई वजह होती है जैसे पढ़ाई का प्रेशर, करियर प्रॉब्लम्स और खराब होते रिश्तें भी इसकी एक मुख्य वजह हैं। समाज में महिलाओं द्वारा आत्महत्या का प्रयास ज्यादा किया जाता है, जिसमें दहेज जैसी कुप्रथा भी एक बड़ी वजह है।
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत
हर साल 10 सितंबर को वर्ल्ज सुसाइड प्रिवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस) मनाया जाता है। लोगों में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरुकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2003 में आईएएसपी (इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी।
साइक्लोजिस्ट प्रो. सन्दीप राणा ने कहा कि अवसाद से बचने के लिये हमें सकरात्मक विचारों के साथ अपने आपको जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन से बड़ा कुछ नहीं हैं ना आपका पद और न ही आपका नाम। सबसे पहले जीवन है उसके बाद बाकि सब है। जब भी आप अवसाद या हताशा में घिर जाएं तो अपने मन की बात को अपने दोस्तों में, परिवार में या अपने आसपास के लोगों से शेयर करें। उन्होंने कहा कि जीवन की समस्याएं स्थाई नहीं है वो कुछ समय के लिये है और उससे बाहर निकला जा सकता है। जब आपको ऐसा लगे कि आप हताश हो रहे हैं तो काउंसलर की मदद ले सकते हैं। उन्होंने खासकर युवाओं से कहा कि वे दूसरों की तरह बनने का प्रयास ना करें वे जैसे हैं वैसे ही यूनिक बने रहें। अपने अंदर की शक्ति को पहचाने और अपना गोल निश्चित करें। अपने आपको हमेशा पॉजिटिव एनर्जी के साथ जोड़े रखें।