22 सितंबर को फिर से हो रहा है पालिका चुनावों के लिए ड्रा

महम का पालिका प्रधान अनुसूचित जाति की महिला के लिए हो चुका था आरक्षित
चुनावों के लिए सरगर्मियां थी तेज, पार्टियां बदलने का दौर हो चुका था शुरु
इंदु दहिया

राज्य में 45 नगरपरिषदों तथा पालिकाओं के प्रधान पद के आरक्षण फिर से किए जाने की घोषणा हो गई है। महम भी इनमें से एक है। 22 जून को निकाले गए ड्रा में महम का प्रधान पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गया था। अब 22 सितंबर को फिर से फिर से ड्रा होगा। पता नहीं ऊंट किस करवट बैठेगा।
लग चुकी थी सपनों की उड़ान
पालिका प्रधान का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होते ही जहां चुनाव की तैयारी कर रहे सामान्य वर्ग के प्रत्याशी शांत हो गए थे। वहीं अनुसूचित जाति के प्रत्याशी मैदान में सक्रिय थे। भाजपा नेता मीना बाल्मीकि, गीता वाल्मीकि सहित भाजपा व अन्य दलों से संबंध रखने वाले लगभग दस प्रत्याशी मैदान में सक्रिय थे। मीना व गीता के अतिरिक्त जिन नामों की महम में चर्चा थी उनमें राकेश चावरियां, अनिल चावरियां, बंटी सिंहमार, जगबीर बहमणी, फतेह सिंह पवारव रमेश खटीक आदि के परिवारों से महिला प्रत्याशियों की चर्चा थी।
इनमें से कुछ हालातों के उनके पक्ष में होने का इंतजार कर रहे थे तो कुछ ने अपनी उम्मीद्वारी की घोषणा कर, चुनाव की तैयारी आरंभ भी कर दी थी।
राजनीतिक दल हो गए हैं सक्रिय
महम के पालिका चुनावों को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं। भाजपा मुख्य चुनाव समिति की बैठक कर चुकी है। वहीं कांग्रेस विधायक आनंद सिंह दांगी के नेतृत्व में जनसंपर्क अभियान चला रही है। विधायक बलराज कुन्डू भी अपने समर्थकों के साथ पालिका चुनावों के सक्रिय हो गए हैं। इसके अतिरिक्त अन्य दलों और राजनीतिक प्रभावों के व्यक्तियों ने अपनी-अपनी पसंद के प्रत्याशियों की खोज आरंभ कर दी थी।
बदलने लगी थी आस्थाएं
प्रधान बनने के लालसा में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की आस्थाएं बदलने लगी थी। अनुसूचित जाति के कुछ प्रत्याशी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं से मिलकर अपनी गोटियां फिट करने लगे थे। कुछ के द्वारा एक से ज्यादा पाटियों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा था। पालिका चुनावों के चलते दलों के छोड़ने और शामिल होने का सिलसिला भी आरंभ हो गया था।
बदलाव हुआ तो बदलनी होगी रणनीति
22 सितंबर को ड्रा के बाद यदि प्रधान पद के लिए आरक्षण में बदलाव हुआ तो दलों को अपनी रणनीति भी बदलनी पड़ेगी। फिलहाल अनुसूचित जाति की महिला प्रत्याशी को लेकर नीति बनाई जा रही थी। उसी आधार पर अपनी-अपनी पसंद और प्रभावानुसार प्रत्याशियों की तलाश थी। अनुुसूचित जाति के अंदर की जातियों के आधार पर समीकरण बनाए जा रहे थ। अगर बदलाव हुआ तो नए सिरे से रणनीति तय करनी होगी।
फिर से जग गई आस
पालिका प्रधान पद के लिए सीधे चुनाव की घोषणा के बाद महम में सामान्य वर्ग के कई नाम सक्रिय थे। जनसेवा समिति के प्रदेशाध्यक्ष बसंत लाल गिरधर ने तो जनसंपर्क अभियान भी आरंभ कर दिया था, लेकिन 22 जून के बाद सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों के नामों की चर्चा पर विराम लग गया था।
अब एक बार फिर से आस जग गई है। कम से कम 22 सितंबर तक चर्चाओं, कयासों और आशाओं को जबरदस्त दौर रहेगा। वहीं इन दिनों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे अनुसूचित जाति के प्रत्याशी भी चुप ही रहेंगे।
बहरहाल 22 सितंबर तक फिर से धड़कनों के तेज रहने का समय रहेगा। इंतजार करिए!24सी न्यूज 8053257789

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