राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के एन्ट्री से बदले हालात
महम, 13 जनवरी (इंदु दहिया)
महम नगरपालिका प्रशासन के लिए नया साल खींचतान भरा हो सकता है। राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के पालिका समिति के सदस्य बनने के बाद हालातों में बदलाव आया है। स्थिति जैसी दिख रही है, वैसी ही आगे बढ़ी तो पालिका में वर्चस्व की लड़ाई और तेज होगी। अधिकारियों के खेमें बनेंगे और निश्चिततौर पर विकास भी प्रभावित होगा।
छह जनवरी को पालिका पार्षदों की बहुप्रतिक्षित बैठक के तुरंत बाद पालिका सचिव के तबादले के आदेश आ गए। हालांकि पालिका सचिव ने लगभग एक सप्ताह बाद कार्यभार छोड़ा है। इससे पहले भी इस पालिका सचिव का एक बार तबादला हो चुका है, लेकिन तब तबादला रूक गया था। इस बार तबादला रूका तो नहीं, लेकिन तबादला होने के कई दिन तक पालिका सचिव का कार्यभार नहीं छोड़ना, इस ओर संकेत था कि वह तबादला रूकने की आस में था।
खैर इस बीच पालिका सचिव ने छह जनवरी की हुई बैठक की मिनट्स जारी कर दी हैं। पास किए गए एजेंडों में राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का प्रभाव साफ दिख रहा है। जैसे एजेंडे पास हुए हैं उन पर कार्रवाई होती है तो यह पालिका की पूर्व व्यवस्था के लिए बेचैनी बढ़ाने वाला होगा। एक समुदाय विशेष के सामुदायिक केंद्र को खासतौर पर मुद्दा बनाया जाना भी इस ओर ही इशारा कर रहा है। कुछ एजेंडे ऐसे हैं, जिनमें पूर्व विकास कार्यों की रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ मिली और उसकी जांच हुई तो काफी कुछ प्रभावित हो सकता है।
खासतौर प्रधानमंत्री आवास योजना में अपात्र लाभार्थियों की सूचि तैयार करने तथा तालाबों के सौंदर्यकरण तथा सामुदायिक केंद्रों के निर्माण से संबंधित रिपोर्ट मांगा जाना किसी और ही इशारा कर रहा है। पार्कोें के रखरखाव का कार्य आरडब्ल्यूओ को दिया जाने से संबंधित प्रस्ताव भी वर्तमान एजेंसियों पर सवाल खड़े करता है। नगर आयुक्त ने आदेश दिए हैं कि सामुदायिक केंद्र के निर्माण के दौरान बढ़ी हुई दरों का भुगतान पालिका फंड से ना किया जाए। इसके लिए सरकार को लिखा जाए। अनुदान प्राप्त होने पर ही भुगतान किया जाए। गलियो, सड़कों, नाला या नालियों आदि के फिर से निर्माण से पूर्व यह रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी कि उस गली, सड़क, नाला या नाली को इससे पहले कब निर्माण हुआ था।
दरअसल इन दिनों महम में सत्ता पक्ष ही खेमों में बटा नजर आ रहा है। कम से कम दो वरिष्ठ नेता पालिका व्यवस्था को अपने-अपने अंदाज में स्थापित करना चाहते हैं। छह जनवरी को पारित एजेंडे भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। पालिका सचिव का पहले तबादला होना, फिर रूकना और फिर से तबादला होना। तबादला होने के एक सप्ताह बाद तक भी पालिका सचिव का कार्यभार नहीं छोड़ना, साफ है पालिका में अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। अंदरखाने जो चल रहा है, उसे अब जनता भी समझ रही है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि टकराव बढ़ेगा या यह समझौता होने से पहले की स्थिति है। जो भी है इन दिनों फिर से पालिका व्यवस्था चर्चा में तो है। इंदु दहिया/ 8053257789
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