पिता जय सिंह झूक गया शहीद पुत्र के चरणों में

कबड्डी कुश्ती के साथ-साथ साईकलिंग का भी गजब खिलाड़ी था जोगेंद्र

  • हजारों की भीड़ उमड़ी जोगेेंद्र को नमन करने
  • मां ने कहा अमर हो गया मेरा लाल
  • दो बहनों का इकलौता भाई था जोगेंद्र
  • युद्धाभ्यास के बाद हवलदार की ट्रेनिंग के लिए जाना था जोगेंद्र को

गांव खरकड़ा में उस वक्त जैसे समय ठहर सा गया जब एक पिता ने अपने पुत्र के चरणों में सर रख कर पुत्र की शाहदत्त को सम्मान दिया। पांच और तीन साल के पुत्रों ने जब पिता को सलाम किया तो हजारों की भीड़ की आंखों से टपके आसुंओं से विशेष रूप से तैयार किया गया शहादत्त सम्मान स्थल पर जैसे बारिश की बूंदे टपकी हों। ‘वंदे मातरम्,’ ‘भारत माता की जय हो,’ ‘शहीद जोगेंद्र अमर रहे’ के नारों से आसमान गूंज उठा।

तिरंगा लिया तो भावुक हो गया पिता

युवाओं की बाजुएं फड़ फड़ाने लगी। वृद्धों का जोश जाग गया। शहीद जोगेंद्र को सलामी देने के लिए जब पुलिस बल की बंदूकों से फायर हुए तो दृश्य देशभक्ति से ओतप्रोत था।

गुरुवार को राजस्थान में युद्धाभ्यास के दौरान शहीद हुए गांव खरकड़ा के जोगेंद्र का शुक्रवार की सुबह गांव में अंतिम संस्कार किया गया। हनुमान मंदिर से मोटरसाईकिलों के काफिले के साथ विशेष रूप से बनाए गए शहीद स्थल तक शहीद के पार्थिव शरीर को लाया गया। उपमंडल के प्रशासनिक अधिकारियों तथा राजनेताओं व गणमान्य व्यक्तियों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए तथा श्रद्धाजंलि दी। भाजपा नेता शमसेर खरकड़ा ने कहा कि शहीद के परिवार को राज्य सरकार की ओर से मिलने सभी घोषित सुविधाएं मिलेंगी। इसके अतिरिक्त फौज तथा केंद्र सरकार की ओर से भी सभी सुविधाएं उन्हें मिलेंगी।

ऐसी हुई शाहदत्त

शहीद के पार्थिव शरीर के साथ आए दीवान सिंह ने बताया कि युद्धाभ्यास के दौरान धूल होने के कारण उनका टैंक एक पेड़ से टकरा गया। जोगेंद्र की गर्दन एक पेड़ में फंस गई। जिससे जोगेंद्र शहीद हो गया। उन्होंने बताया कि जोगेंद्र फौज में बहुत लोकप्रिय था। वह साईकलिंग, कबड्डी और कुश्ती का भी शानदार खिलाड़ी था। जोगेंद्र की हवलदार के रूप में पद्दोन्नति हो गई थी। उसे युद्धाभ्यास के बाद हवलदार की ट्रेनिंग पर जाना था। वह बीते नवंबर में छुट्टियां काट गया था।

सैनिक सम्मान से हुआ शहीद का अंतिम संस्कार

मां ने कहा अमर हो गया मेरा लाल

शहीद की मां बेदो देवी बेशक हिम्मत को समेटने का हर पल प्रयास कर रही थी। कह रही थी उसे गर्व है कि उसका लाल अमर हो गया। अपने दोनों पोतों को भी सेना के लिए तैयार करेगी। लेकिन उसे दर्द था कि उसकी दो बेटियों का इकलौता भाई नहीं रहा। वह विलाप कर रही थी कि उसकी बहु का सुहाग नहीं रहा। उसके पोतों के सिर से पिता का साया उठ गया।

छोटा पुत्र समर

शहीद की बहनेें कहलाएंगी

भाई को खोकर भी आंसु छूपाने की ताकत कोई सीखे तो शहीद जोगेंद्र की बहनों सुमन और टीना से सीखे। बिलखती बहनें अचानक रूक रही थी। कह रही थी, उनका भाई अमर हुआ है। उन्हें गर्व है आज से वे शहीद की बहन की कहलाएंगी।

बेटों को बनाऊंगी पिता जैसा-पत्नी

पत्नी सोनू कुमारी बेहाल थी। आंसुओं को रोकने का जबरदस्ती असफल प्रयास कर रही थी। बस कुछ शब्द मात्र बोल रही थी। कह रही थी। ‘गर्व है-गर्व हैं। बेटों को पिता जैसा बनाऊंगी।’

बेटों ने किया पिता को सलाम

सैनिक होने पर गर्व है-पिता

पिता जयसिंह  का कहना है कि उनके बेटे ने उनका सीना चौड़ा कर दिया। वे खुद एक फौजी रहे हैं। एक फौजी पिता बेटे की शाहदत्त को हमेशा सम्मान ही समझता है। हालांकि जब बेटे के पार्थिव शरीर के तिरंगा उतार कर उसे दिया गया तो वह अपने आंसु रोक नहीं पाया।

बेखबर था बचपन

शहीद जोगेंद्र का बड़ा पुत्र आर्यन पांच साल का है तथा छोटा पुत्र समर तीन साल का है। दोनों ही सहमें हुए थे। उन्हें नहीं पता था कि क्या हो रहा है। उनके पिता को उनकी सलामी दिलाई गई। कभी रोने लग जाते थे। लोग उन्हेें खिलाने लग जाते थे तो चुप हो जाते थे।

बड़ा पुत्र आर्यन

24c न्यूज़ शहीद जोगिंद्र को नमन करता है।

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