बैल के साथ ग्रामीण

बचपन से आज तक एक ही किसान के घर रहा बैल

अपने घर की समृद्धि में बैल का बड़ा योगदान मानता है किसान परिवार
महम

एक समय था जब किसान अपने बैल को पुत्र से भी ज्यादा प्यार करता था। खुद भूखा रह सकता था, परिवार भूखा रह सकता था, लेकिन किसान बैल को भूखा नहीं रहने देता थां। खुद मैले कुचले कपड़ों में जीवन जी लेता था, लेकिन बैल का श्रृंगार जरूर करता था।
वक्त बदला, मशीनों और ट्रैक्टरों ने बैलों की जरूरत और महत्व दोनों को कम कर दिया। हालात ये हुए कि हजारों साल से जो बैल सामाजिक तथा धार्मिक जीवन का केंद्र था, अब हाशिए पर आ गया।
गलियों में थैलियां और गंदगी खाने को मजबूर हो गया। गाय को तो गौशाला में आसरा मिल भी जाता है, लेकिन बेचारा बैल भटकने और लाठियां खाने को मजबूर है।
महम चौबीसी के गांव खेड़ी के एक किसान परिवार ने एक अलग ही मिसाल पेश की है। इस परिवार ने अपने बैल को अपने परिवार के मुखिया की तरह सम्मान दिया है। अपने बैल के सम्मान में ’जीवनजग’ का आयोजन किया है। अर्थात बैल के जीते एक सामुहिक आयोजन, ठीक ऐसे ही जैसे किसी घर के बुजुर्ग के सम्मान किया जाता है।
इस परिवार ने ग्रामीणों तथा रिश्तेदारों के लिए भोज आयोजित किया तथा वृद्ध हो चुके बैल की पूजा अर्चना कर उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। बैल अब काफी वृद्ध हो चुका हैं। काफी कमजोर हैं, चल फिर भी नहीं पा रहा है। यही कारण है कि इस परिवार ने बैल का जीवन जग करने का निर्णय लिया।

किसी समय ऐसी थी किसान रामफल व उसके बैल की जोड़ी (फाइल फोटो(

22 साल पहले घर में आया था बैल
परिवार का मुखिया रामफल लगभग 22 साल पहले एक आवारा बछड़े को घर लेकर आया था। इसे अपने भाई की तरह पाला। रामफल के पुत्र अजीत व नरेश ने बताया कि उन्होंने कभी एक सांटा तक इस बैल को नहीं मारा।
सांटा मारने की जरूरत भी नहीं पड़ी। यह समझदार ही इतना है। अब बेशक इसने काम करना बंद कर दिया हैं, लेकिन इसकी हैसियत घर में पहले से भी ज्यादा बढ़ी है।
बैल में अपने भाई की छवि देखते हैं
रामफल के भाई पूर्व सरपंच सुनहरा इस बैल में अपने भाई रामफल की छवि देखते हैं। रामफल अब इस दुनिया में नहंी रहें, लेकिन वे इस बैल का अपना भाई कहते हैं। रामफल इस बैल से बइेन्तहा प्रेम करते थे। यह बैल ंअंतिम समय तक उनके परिवार के साथ ही रहेगा।
श्रीशिवानंद धमार्थ चिकित्सालय खेड़ी के डाक्टर केेके लांबा ने कहा कि इस किसान परिवार ने इंसानियत व मानवता की अद्भूत मिसाल पेश की है। इससे हर किसान को बैलों के प्रति समपर्ण व सम्मान भाव रखने की प्रेरणा मिलेगी।

बैल के साथ खेड़ी का किसान परिवार

बैल के कारण बदली घर की स्थिति
इस परिवार का विश्वास है कि इस बैल के कारण ही इस घर की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया। जब ये बैल घर मंे आया तब उनकी स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी। धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हुआ है और अब वे बहुत अच्छी स्थिति में हैं। ग्रामीण इस परिवार के इस कदम की मुक्तकंठ से प्रशंसा कर रहे हैं। आपाधापी के इस दौर में इस परिवार ने सच्चा किसान होने का परिचय दिया है।24c न्यूज/ इंदु दहिया 8053257789 (सभी फोटो संजय बैनीवाल)

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