यूपीएससी परीक्षा में पाया 102वां रैंक
*पेशे से डाक्टर हैं, राजेश मोहन!
*खास योजना और कड़ी मेहनत से पार पाया जा सकता है चुनौतियों से
*असफलता, निराशा नहीं, सीढ़ी है-समझाया मां ने
*पैराओलंपिक के स्वर्णपदक विजेता सुमित अंतिल की बहन मीनाक्षी अंतिल के साथ बंधेंगे विवाह बंधन में
इंदु दहिया
आज महम में हर ओर एक ही चर्चा है! गांव में तो कह रहे हैं, चौबीसी का लाडला गांव भराण का अपना डाक्टर राजेश मोहन डीसी बन गया।रैंक अच्छा है संभावना भी आईएएस में आने की। आज के समाचार पत्रों राजेश की इस सफलता के बारे में छपा है। 24c न्यूज सीधा राजेश तक पहुंचा है। उनसे बात की है। उनसे सफलता के रहस्य जाने। डाक्टर राजेश आजकल दिल्ली तिहाड़ जेल के अस्पताल में डाक्टर के रूप सेवाएं दे रहें हैं। पेशे से एमबीबीएस डाक्टर है राजेश। 2 अक्टूबर 1991 को जन्में राजेश के पिता राजकुमार हरियाणा सचिवालय चंडीगढ़ में अंडर सक्रैटरी हैं। उन्होंने एमबीबीएस भी चंडीगढ़ के राजकीय चिकित्सा संस्थान से ही है। मां कमलेश गृहणि है। खास बात यह है कि राजेश मोहन अपनी सफलता को अपने परिवार व गांव के साथ-साथ विशेष रूप अपनी मां कमलेश देवी को ही समर्पित कर रहे हैं।
डाक्टर के लोक सेवक बनना क्यों जरुरी?
एक सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो अब तक बहुत से डाक्टरों को लोकसेवक बनने से रोक देता था। साक्षात्कार लेने वालों को भी लगता था कि एक डाक्टर, डाक्टर के रूप में ही अपनी सेवाएं दे रहा है तो बेहतर है। राजेश मोहन ने कहा कि कोरोना महामारी ने इस सोच को बदल दिया। राजेश बताते हैं कि एक डाक्टर लोकसेवक होगा तो वो समय रहते स्वस्थ्य समस्याओं को पहचान लेगा और समाधान भी तलाश लेगा। स्वस्थ्य सेवाएं भविष्य में बड़ी चुनौती बनने वाली हैं।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के नान्दूर बर्ग जिले के जिलाधीश पेश से डाक्टर थे। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान समय से पहले ही समझ लिया था कि आक्सीजन की कमी होने वाली है। उन्हांनेे अपने जिले में पहले ही आक्सीजन प्लांट लगा लिए थे। परिणाम यह निकला कि आदिवासी इलाका होते हुए भी उस जिले में आक्सीजन की कमी नहीं रही, बल्कि अन्य जिलों को भी आक्सीजन दी।
कब देखा था आईएएस बनने का सपना
डाक्टर राजेश बताते हैं कि एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान उन्हें एक केस की प्रस्तुति देनी थी। केस एक बच्चे के कुपोषण पर था। तब उन्हें लगा कि एक डाक्टर तो केवल बच्चे को कुषोषण दूर करने की दवा और सलाह दे सकता है। एक लोकसेवक बच्चों के कुषोषण को दूर करने के लिए दीर्घकालीन योजना लागू कर कुषोषण की समस्या के समाधान में बड़ा योगदान दे सकता है। उन्हें यहीं से लोकसेवक बनने की ठान ली। हालांकि इसमें उन्हें उनके ताऊ हवा सिंह मोहन सहित परिवार के सभी सदस्यों का मार्गदर्शन मिला।
विकल्प चुनना होता है चुनौती
राजेश ने बताया कि मैडिकल ग्रेजुएट के लिए लोकसेवा में विषय चुनना चुनौती होती है। चिकित्सा विज्ञान बहुत गहरा विषय होता है। जिसे गहराई तक पढ़ना चुनौती होती है। मैडिकल ग्रेजुएट खुद भी इस विषय को विकल्प के रूप में कम चुनते हैं, लेकिन उन्होंने इसी विषय को चुना और मेहनत की।
टाइम मैनेजमैंट है सबसे बड़ा हथियार
राजेश मोहन का कहना है कि टाइम मैनेजमैंट सबसे अधिक जरूरी है। समय तो सीमित और निश्चित होता है। अगर आपको लोकसेवा जैसी परीक्षा पास करनी है तो समाजिक स्तर पर बहुत सी कुर्बानियां देनी होंगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने एमबीबीएस के बाद उन्हें मैडिकल आॅफीसर के रूप में नौकरी ज्वाइंन कर ली थी। लेकिन उन्हें लगा कि समय अतिरिक्त चाहिए, इसलिए नौकरी छोड़ दी थी। हालांकि कोरोना के समय जब डाक्टरांे की कमी हुई तो राजेश फिर से इस सेवा में चले गए।
ऐसे की की तैयारी, सेना अधिकारियों से मिली मदद
राजेश बताते हैं कि पहले चरण की परीक्षा के लिए उन्होंने स्तरीय पुस्तकों का सहारा लिया। मुख्य परीक्षा के लिए विषयों को गहनता से अध्ययन किया। प्रश्नों के उत्तर लिख-लिख कर देखे। साक्षात्कार मंे उन्होंने सबसे ज्यादा सेना अधिकारियों से मदद मिली। सेना अधिकारियों ने उन्हें शारीरिक भाषा समझाई। चलने और बोलने के अंदाज सिखाए। उनके छोटे भाई कैप्टन कुलबीर ने उनकी इसमंे खूब सहायता की।
मां बनी सहारा
राजेश ने बताया कि उनके पहले चार प्रयास पूर्ण सफल नहीं हो पाए थे। चौथे प्रयास में वे साक्षात्कार तक पहुंच गए थे। ऐसे दौर में मां कमलेश ने उन्हें हिम्मत और हौंसला दिया। फिर से नई ताकत से तैयारियों में जुट जाने के लिए कहा। परिणाम सबके सामने है। राजेश का यह भी कहना है कि अब ये मिथक टूट गया है कि डाक्टर व इंजीनियरों के लिए आईएएस बनना मुश्किल होता है। बल्कि उनके लिए ज्यादा आसान होता है, क्योंकि वे अगर आईएएस नहीं भी बन पाते हैं तो उनकी नौकरी सुरक्षित होती है। ऐसे में उन पर मनौवैज्ञानिक दबाव कम रहता है।
मीनाक्षी अंतिल के साथ बंधेंगे विवाह बंधन में
आईएएस राजेश मोहन दिल्ली की मीनाक्षी अंतिल के साथ विवाह बंधन में बंधेंगे। मीनाक्षी भी आईएएस की तैयारी कर रही है। प्रतिष्ठित संस्थान मीरांडा हाउस दिल्ली से उन्होंने बीएससी व एमएससी किया है। मीनाक्षी टोक्यो पैराओलम्पिक में ज्वैलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमीत अंतिल की बहन है। दोनों परिवारों में इस रिश्ते के लिए सहमति बन चुकी है।
ये है पारिवारिक पृष्ठभूमि
डाक्टर राजेश मोहन के दादा बलवंत सिंह गांव भराण में खेतीबाड़ी करते थे। डाक्टर राजेश उनके चौथे बेटे राजकुमार मोहन के बड़े बेटे हैं। राजेश के छोटे भाई सेना में कैप्टन हैं। बलवंत के बेटे स्व. राजमल मोहन थाना प्रभारी थे। उनसे छोटे हवा सिंह मोहन सेवानिवृत कार्यकारी अभियंता है। हवा सिंह मोहन महम क्षे़़त्र में अति सम्मानित व्यक्तियों में से एक हैं। उनका पूरे ़क्षे़त्र काफी नाम हैं। राजेश भी अपनी सफलता में हवासिंह मोहन को बहुत अधिक सम्मान दे रहे हैं। बलवंत के तीसरे बेटे राजबीर गांव में ही खेतीबाड़ी का काम देखते हैं। जबकि पांचवे बेटे सतबीर पटवारी हैं। हवासिंह मोहन के बेटे आतिश मोहन केनबरा आस्ट्रेलिया में पीएम कार्यालय में कार्यकारी अधिकारी हैं। जबकि राजमल के बेटे डा. रविन्द्र मोहन मीरपुर विश्वविद्यालय रेवाड़ी में प्रोफैसर हैं। तथा सतबीर पटवारी के बेटे परमेंद्र इलैक्ट्रिकल इंजीनियर हैं।
लोकसंस्कृति का शोक है
डा. राजेश को हरियाणवी रागनियां सुनना और गाना पसंद हैं। उन्होंने एक रागनी लिखी भी है। उनका मानना है कि आम आदमी में जागरूकता पैदा करने में लोकसंस्कृति बहुत बड़ा योगदान है। अगर कोई समझाने वाली बात रूचिकर तरीके से कही जाए तो ज्यादा अच्छे से समझ आती है। अपने सेवाकाल में वे लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने तथा समाज के उत्थान में इसका उपयोग करेंगे। इसके अतिरिक्त उन्हें फोटोग्राफी का भी शौक है। 24c न्यूज/ दीपक दहिया 8950176700
सौजन्य से
24सी न्यूज डा. राजेश को इस सफलता के लिए बधाई देता है!!
कृप्या! इस साक्षात्कार पर काॅमेन्ट बाॅक्स में जाकर अपनी प्रतिक्रिया भी अवश्य दें।
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