डा. ईश्वरचंद्र विद्यासागर के जीवन से जुड़ी घटना
एक बार जाने-माने महान डाक्टर ईश्वरचंद्र विद्यासागर के सम्मान की घोषणा हुई। सम्मान के लिए डा. ईश्वरचंद्र को तात्कालीन वायरस राय ने आमंत्रित किया। डा. ईश्वर एक सम्मानित व प्रतिष्ठित डाक्टर होने के वावजूद हमेशा बिल्कुल सादे लिबास में रहते थे। सामान्य कपड़े पहनते थे।
उन्हें उनके मित्रों ने कहा कि आपको सम्मान मिल रहा है। वायरस के पास जाना है। ऐसे में इस अवसर के लिए कुछ खास कपड़े बनवा लो। ईश्वर चंद्र मान गए और उन्होंने इस अवसर के लिए नए खास कपड़े बनवाने दे दिए।
इसी बीच एक सुबह वे बगीचे में टहल रहे थे। उन्होंने देखा के एक संभ्रांत सा व्यक्ति हाथ में झड़ी लिए एक खास अंदाज और आकर्षक चाल में चलता हुआ सैर कर रहा था।
तभी उसका नौकर उसके पास दौड़ता हुआ आया और नौकर ने उस संभ्रात व्यक्ति को कहा कि साहब आपके घर के एक कोेने में आग लग गई है। जल्दी चलिए आग बुझवाने का इंतजाम करिए। वह व्यक्ति अपनी चिरपरिचित चाल में ही चलता रहा, जैसे उसने कुछ सुना ही ना हो।
नौकर ने फिर कहा कि साहब घर में आग लग गई है। जल्दी चलिए। उस व्यक्ति ने नौकर से कहा, बेवकूफ में घर की आग के लिए अपने जीवन भर की चाल बदल लूं। मैं इसी चाल से चलता हूं और ऐसे ही चलकर आऊंगा। आने के बाद आग बूझाने का इन्जाम भी हो जाएगा।
डा. ईश्वरचंद्र यह सब सुन रहा था। उसने तुरंत नए कपड़े लेने से इंकार करने का मन बना लिया। उसने कहा कि जब यह व्यक्ति घर की आग की बात सुनकर भी अपनी चाल नहीं बदल रहा है तो मैं केवल एक सम्मान के लिए अपने कपड़े पहनने के अंदाज को कैसे बदल लूं?
ओशे प्रवचन से साभार
आपका दिन शुभ हो!!!!!
ऐसे हर सुबह एक जीवनमंत्र पढने के लिए Download 24C News app: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews
अगर आपके पास भी इस प्रकार की कोई प्रेरक लघु कथा या प्रसंग हो तो आप 24सी न्यूज के साथ व्हाटसेप नम्बर 8053257789 पर सांझा कर सकते हैं। अगर कथा या प्रसंग पोस्ट योग्य समझा गया तो उसे आपके नाम के साथ पोस्ट किया जाएगा। अगर आप कहीं से वह प्रसंग लें तो उस source का नाम भी बताएं
बहुत अच्छे