बावड़ी का बाहरी दृश्य

तीन महीनें में दूसरी आत्महत्या

नागरिक कर रहे हैं आवश्यक कदम उठाने की मांग
क्या कहना है मनोवैज्ञानिकों का?
महम

अपने निर्माण के समय ’स्वर्ग का झरना’ कहीं गई महम की ऐतिहासिक बावड़ी राष्ट्रीय पुरातत्व धरोहर के रूप में संरक्षित है। महम ही नहीं बल्कि हरियाणा का ऐतिहासिक गौरव यहबावड़ी आजकल ’सुसाइड स्पोट’ बनती जा रही है। पिछले तीन महीनों से भी कम समय की अवधि में बावड़ी के कुएं के दो व्यक्ति आत्महत्याएं कर चुके हैं। इससे पहले भी यहां कई व्यक्ति आत्महत्याएं कर चुुके हैं।

हिमांशु (फाइल फोटो)


मांशु ने की थी फिल्मी अंदाज में आत्महत्या
21 फरवरी को महम में रह रहे सैमाण निवासी 27 वर्षीय हिमांशु ने अत्यंत नाटकीय अंदाज में यहां आत्महत्या की थी। हिमांशु ने तो यहां अपनी आत्महत्या की बाकायदा विडियो बनाई थी। सुसाइड नोट लिखा। कुछ लोगां को आरोपित भी किया था। हिमांशु एक मेधावी वि़द्यार्थी था।

राकेश चिटकारा (फाइल फोटो)

11 मई को रमेश चिटकारा ने लगाई छलांग
मंगलवार को महम के वार्ड 11 निवासी लगभग 50 वर्षीय रमेश चिटकारा ने सुबह-सुबह बावड़ी में कूद कर जान दे दी। रमेश हर रोज की तरह बावड़ी पर घूमने आया था। रमेश चिटकारा ने कोई सुसाइट नोट नहीं छोड़ा और ना ही उसके आत्महत्या के कारणों की आधिकारिक जानकारी मिल पाई है। हालांकि माना जा रहा है कि वह कुछ समय से अवसाद में था।

कुआ जो बन रहा है हादसों का कारण

जाल लगवाने की मांग कर रहे हैं नागरिक
नागरिकों का कहना है कि बावड़ी का कुआ खुला है। व्यक्ति अवसाद या क्रोध की स्थिति में यहां आकर आत्महत्या का निर्णय ले लेता है। बेहतर हो की बावड़ी के कुए पर जाल लगवा दिया जाए। केवल ऊपर जाल लगवाने से काम नहीं चलेगा। बावड़ी के कुए साथ पूर्व दिशा से सीढ़ियां भी उतरती हैं। नीचे की ओर एक झरोखा है जो कुएं की ओर ही खुलता है। इस झरोखें पर भी जाल लगवाना होगा। राकेश चिटकार के आत्महत्या करने के बाद किशनगढ़ के श्रीभगवान ने मौके पर ही यह मांग की थी। इसके अतिरिक्त अन्य नगरिक भी यह मांग कर रहे हैं।
केवल जाल लगवाना ही समस्या का समाधान नहीं- मनोवैज्ञानिक राकेश बहमनी
गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्राद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश बहमनी ने कहा है कि जाल लगवा देना गलत नहीं हैं। हो सकता है अचानक क्रोध के कारण आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अगर उस समय आत्महत्या ना कर पाए तो वो आत्महत्या का इरादा त्याग दें। लेकिन डूब कर जान देने वालों के लिए आसपास और कुए मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि आत्महत्या के कारण पर ही विचार करना होगा तथा उन कारणों को दूर करना होगा। जिनके कारण वह व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है।
महामारी ने बदल दी परिस्थितियां
प्रो. राकेश का कहना है कि महामारी के कारण व्यक्ति का जीवन काफी हद तक बदल गया है। कई प्रकार की नई चुनौतियां उसके समक्ष आ गई हैं। इन बदलावों व चुनौतियों को स्वीकार ना कर पाने के कारण मानव अवसाद की तरफ जा रहा है और आत्महत्या की प्रवृतियां पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। सामाजिक संस्थाओं ऐसे हालातों में आगे आना चाहिए।

बावड़ी के कुए पर सुरक्षित है इसका निर्माण पत्थर

ज्ञानी चोर की नही,ं सैदू कलाल की है बावड़ी
महम की बावड़ी पर प्रामाणिक ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध है। बावड़ी के कुए पर लगे फारसी पत्थर पर फारसी में इसके निर्माण के बारे में जानकारी साफ लिखी है। प्रसिद्ध इतिहासकार डा. रणबीर फौगााट तथा स्व. जगदीश भारती के लेखों में इस संबंध में लिखा गया है। पत्थर पर लिखा है, यह स्वर्ग का झरना शहंशाहों के शाहंशाह सैदू काल ने सन् 1656 ई. में बनवाया।’ सैदू कलाल तात्कालीन बादशाह शांहजहां के छत्रप थे।
ज्ञानी चोर के साथ संबंध की प्रामाणिक जानकारी नहीं
इतिहासकार एवं पुरातत्ववेता विवेक दांगी ने कहा है कि यह तो साफ है कि बावड़ी निर्माण ज्ञानी चोर ने नहीं करवाया। कई लोककथाओं में ज्ञानी चोर या ज्ञानी चोर जैसे चरित्रों को वर्णन मिलता है, लेकिन महम की बावड़ी से उसका संबंध महम के प्रसिद्ध सांगी के सांग ’ज्ञानी चोर’ के अतिरिक्त कहीं और नहीं मिलता। सांग को केवल एक मनोरंजक कथा माना जा सकता है। बावड़ी मे बारातों के गुम होने तथा दिल्ली तक सुरंग होने जैसी किवदंती भी विश्वास योग्य नहीं है। संभव है कि पानी के लिए इस्तेमाल ना होने के बाद लोगो यह जगंलों और झाड़ों से घिर गई हो। बच्चे इस तरफ ना आएं, इसलिए इस प्रकार की बातें कह दी गई हों।

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