सड़कों पर रही वाहनों की लंबी कतारें, जोश और उत्साह से हाईवे पर उमड़ा हजूम
भारी संख्या में महिलाएं भी हुई शामिल
महम
किसान आंदोलन की समाप्ति की घोषणा के बाद बॉर्डर से किसानों का लौटना आरंभ हो गया है। एक साल से भी अधिक समय से बॉर्डर पर डटे रहने के बाद घर लौटते किसानों का महमवासियों ने दिल खोलकर स्वागत किया।
लौट कर आते किसानों को नायकों जैसा सम्मान दिया गया। पुष्प वर्षा की गई। सम्मान में महिलाओं ने गीत गाए। हरियाणवीं नृत्य धमाल हुआ। एक साल तक सड़कों पर रहने के बाद लौटते किसानों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी।
जब हरियाणवीं महिलाएं गीत गाने लगी। ठोल नगाड़े बजने लगे तो पंजाब के किसान भी बीच सड़क पर आकर भगड़ा करते दिखे।
चौबीसी से गुजरने वाले हाईवे पर अधिकतर स्थानों पर स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई थी। हाईवे पर ही ग्रामीणों देशी घी के लड्डूआंे के भंडारे लगा रखे थे। खाने का प्रबंध भी किया गया था।
मदीना टोल, खरकड़ा, बलंभा, भैणीमहाराजपुर आदि गांवों से गुजरने वाले हाईवे पर लौटते किसानों का स्वागत किया गया। भैणीसुरजन के ग्रामीण देशी घी के लड्डू बनाकर हाईवे पर ही लौटते किसानों को खिलाने पहुंचे। अन्य गांवों के ग्रामीण भी स्वागत में हाईवे पर आए।
हालात ऐसे थे कि मदीना टोल सहित कुछ स्थानों पर दिनभर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रही। पूरे आंदोलन के दौरान दिल्ली में डेरा लगाए महम चौबीसी के कई किसान भी वापिस आना आरंभ हो गए हैं।
बलंभा के पूर्व सरपंच हवा सिंह ने आंदोलन के दौरान के बॉर्डर के अपने अनुभव सांझा किए। मनोज कुमार व भीम प्रधान भी आंदोलन के दौरान बॉर्डर पर थे।
स्वागत करने वालों में बलवान सिंह, मास्टर रघबीर, कुलदीप सीसर, सोनू बलंभा, मांगे राम, कंवर सिंह, रामरति, कृष्णा, शकुंतला, सीमा, काला प्रधान, राजा, जैसी पहलवान, दलबीर सरपंच तथा कृष्ण सरपंच आदि शामिल रहे। दीपक दहिया/ 8950176700
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