Source: Internet

दौलत की भूख मन की शांति छीन लेती है

एक बार एक गुरु और शिष्य यात्रा पर थे। बहुत खुश और मस्त एक दूसरे से बातें करते अपने गंतव्य की और जा रहे थे।रास्ते में उनमें से शिष्य को सोने की एक ईंट मिल गई।

पहले तो उसने सोचा की मैं फकीर हूं, ये सोना मेरे किस काम का? लेकिन अचानक उसके मन मे लालच आ गया। उसने गुरु से नज़र बचा कर, उस ईंट को अपने झोले में डाल लिया। फिर क्या था? शिष्य बेचैन हो गया। अपने झोले के प्रति ज्यादा सावधान रहने लगा। बार बार झोले को टिटोलता और देखता कहीं सोने ईंट गायब तो नहीं हो गई।

 गुरु को लगा कि दाल में कुछ काला है, जरुर इस झोले में कोई मुसीबत आ गई है।मौका मिलते ही उसने उसने अपने शिष्य के झोले में सोने की ईंट देख ली और वह शिष्य की बेचैनी का कारण समझ गया।

अगला मौका मिलते ही गुरु ने शिष्य के झोले से सोने की ईंट निकाल कर फेंक दी और  उसके स्थान पर लगभग उसी वजन की सामान्य ईंट रख दी। शिष्य अब भी झोले को अतिरिक्त सावधानी से रख रहा था।

 रात जब एक स्थान पर गुरु शिष्य सोने के लिए रुके तो शिष्य बेचैन था और झोले को अपने शरीर से चिपकाए हुए था। उसे लग रहा था कहीं वो सो जाएं और उसका सोना कोई चुरा ले। 

अब गुरु ने शिष्य से कहा, आराम से सो जाओ। मैं मुसीबत को रास्ते में फेंक आया हूं।

 शिष्य ने तुरंत झोला टिटोला तो उसमें से सामान्य ईंट निकली।

 शिष्य समझ गया और गुरु के चरण पकड़ लिए।

कहा गुरुदेव आपने मेरी आँखें खोल दीमैं जान गया कि दौलत की भूख मन की शांति छीन लेती है।

लालच में अंधा होकर मैं पत्थर को भी सोना समझ रहा था।

आपका दिन शुभ हो

इसी प्रकार हर सुबह जीवनमंत्र पढ़ने के लिए

डाऊन लोड करें 24C News app: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *