परमात्मा को भीतर खोजों

एक महिला फ़कीर थी राबिया। एक शाम वो बाहर गली में कुछ खोज रही थी। बड़े ध्यान से लगातार कुछ खोजे जा रही थी।

उसे खोज में लगे देख उसके पास एक आदमी आया और वो भी कुछ खोजने लगा। फिर दूसरा आया और वो भी उनके साथ कुछ खोजने लगा। ऐसे की कुछ और लोग आए और खोज में लग गए।

तभी एक बुज़ुर्ग आया और उसने पूछा, ‘तुम सब क्या खोज रहे हो।’

उन्होंने कहा, ‘पता नही, राबिया का कुछ खोया है। वो खोज रही थी। सो हम भी खोजने लगे।’

उस बुज़ुर्ग ने राबिया से पूछा’आपका क्या खो गया बेटी।’ राबिया ने कहा, ‘मेरी सुई खो गई बाबा। उसे तलाश रही हूं।’

बुज़ुर्ग ने पूछा, ‘आपकी सुई कहां खोई है।’ राबिया ने कहा, ‘घर के भीतर खोई है।’

बुज़ुर्ग ने कहा, क्या कर रही हो तुम। सूई भीतर खोई, तलाश बाहर कर रही हो। राबिया ने कहा, बाबा भीतर अंधेरा था। इसलिए बाहर खोजने लगी।बुज़ुर्ग ने कहा, ‘तो भीतर दीपक जला लो।’

राबिया ने कहा , ‘हां बाबा यही तो मै समझना चाहती हूँ, हम भीतर दीपक जलाने की बजाय बाहर खोजना शुरु कर देते हैं।’

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