राकेश भराणिया ने कहा नहीं मिल रही कोई सहायता
कलाकारों को मजदूरी भी नहीं मिल रही
सरकार दे इस ओर ध्यान दे
महम
कोरोना महामारी के कारण जहां हर वर्ग परेशानी और मुसीबत हैं, वहीं लोक कलाकार की स्थिति और अधिक दयनीय है। एक साल से भी अधिक समय से कला के कार्यक्रम बंद पड़े हैं। लोककलाकारों की आजीविका का कोई और साधन नहीं है। कई लोककलाकारों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है।
अंतराष्ट्रीय स्तर के लोक कलाकार मास्टर चंदगी राम लोक कला सम्मान से नवाजे जा चुके राकेश भराणिया ने लोककलाकारों का दर्द व्यक्त किया है। राकेश भराणिया ने कहा है कि अब भी सरकार की तरफ से लोककलाकारों को कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई है।
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कई कलाकार अपने हुनर को भूलकर मजदूरी करने लगे हैं। यहां तक इन्हें अब तो मजदूरी भी नहीं मिल रही है। ये वहीं कलाकार हैं जो अतंराष्ट्रीय महोत्सवों को चार चांद लगाते हैं। गीता जयंती तथा सूरजकुन्ड मेलों जैसे आयोजनों की शोभा को बढ़ाते हैं। ये कलाकार प्रदेश की कला व संस्कृति का देश विदेश में नाम रोशन करते हैं। इनके बीन नगाड़े ताशे वातावरण को खुशनुमा बना देते हैं।
राकेश भराणिया का कहना है कि हालात इतने खराब हैं कि ये लोक कलाकार घुट-घुट कर सांस लेने को मजबूर हैं। राकेश का कहना है कि सरकार से अनुरोध है कलाकारों की ओर ध्यान दिया जाएं। ये कलाकार मतदाता भी हैं और अपना मत देकर सरकारें बनाने का काम भी करते हैं। उन्होंने कहा कि कला व कलाकारों को बचाने के लिए सरकार को तुरंत आगे आना चाहिए तथा कलाकारों को दयनीय स्थिति से निकालना चाहिए। विज्ञप्ति
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