गाव फरमाणा में कपास की फसल को उजाड़ने पर मजबूर हो गए किसान
जलभराव के कारण नष्ट हो गई कपास की फसल
पछेती धान लगाकर लेना चाहते हैं जोखिम
10 से 15 हजार रूपए प्रति एकड़ का हो चुका था खर्च
गत दो वषों से नष्ट हो रही थी धान की फसल
महम
सही कहा गया है जब तक फसल पक कर घर नहीं आ जाती तब तक वह किसान की नहीं होती। ना जाने कब क्या, प्राकृतिक आपदा आ जाए और किसान की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाए। गांव फरमाणा के किसानों के साथ स्थिति ऐसी हो गई है। फरमाणा-गुगाहेड़ी रोड़ पर सौ एकड़ से ज्यादा में बारिश का कई-कई फुट पानी जमा हो गया है। कपास की फसल का पूर्णतया नष्ट होना तय है। धान पर भी भारी खतरा है।
किसानों ने कपास की फसल को नष्ट करने का निर्णय लिया है। पछेती धान की फसल लगाकर जोखिम लेना चाहते हैं। हो सकता है, कुछ फायदा ही हो जाए।
फसल नष्ट करने वाले किसानों में राजकुमार बिसला, बिट्टू व फूलकुमार आदि शामिल हैं। बिट्टू ने तो कपास की फसल नष्ट करके धान की फसल लगा भी दी।
दस हजार से ज्यादा हो चुका था खर्च
राजकुमार ने बताया कि कपास की फसल लगभग पकने की तैयार थी। एक पौधे पर 30 से 35 तक टिन्डे लग चुके थे। अब तक दस हजार से ज्यादा का खर्च हो चुका था। कपास की बिजाई के समय नहरी पानी की समस्या थी। प्रति एकड़ एक हजार से दो हजार रूपए तक के डीजल से बिजाई के लिए खेतों की सिंचाई की गई थी। इसके बाद हैरो, रूटावेटर और बुआई पर लगभग तीन हजार का खर्च आ चुका था। डेढ़ हजार रूपए का बीज आया था नलाई व हलाई पर भी तीन से चार हजार रूपए खर्च हो चंुके थे। दो बार स्पे्र भी हो चुका था। दो हजार के लगभग खर्च हो चुका था।
इन किसानों को दोहरी मार
उन किसानों को दोहरी मार पड़ी है, जिन्होंने ठेके पर जमीन लेकर बिजाई की थी। राजकुमार बिसला का कहना है कि इस इलाके में लगभग 40 हजार रूपए प्रति एकड़ का ठेका है। छह महीनें की फसल तो गई। अब धान का सीजन जा चुका है। पता नहीं पछेती धान होगी या नही।
दो साल से नष्ट हो रही थी धान की फसल
किसानों का कहना है कि पिछले दो साल से धान की फसल नष्ट हो रही थी। पर्याप्त बारिश हो नहीं रही थी। नहरी पानी भी पूरा नहीं मिल रहा था। हालात ये थे कि धान ने बाली तक नहीं निकाली थी। यही कारण रहा कि किसानों धान की बजाय कपास का विकल्प भी चुन लिया था। इस बार बारिश ज्यादा हो गई। कपास भी नष्ट हो गई।
कपास का होना तो मुश्किल-कृषि अधिकारी
कृषि अधिकारी देवेंद्र सांगवान ने कहा है कि ज्यादा पानी जमा होने पर कपास की फसल का नष्ट होना तो लगभग तय है। धान के लिए हालंाकि पछेत हो चुकी है, लेकिन अभी धान लगाया जा रहा है। धान की फसल में संभावना बनती है।24c न्यूज/ इंदु दहिया 8053257789
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