भागीरथी प्रयास
एक साधु के बारे में चर्चित था कि वो जब भी नाचता था बारिश होती थी। ये बात दूर-दूर गांवों तक फैल गई। एक गांव में एक बार बारिश नहीं हुई। गांव में अकाल जैसे हालात बनने लगे। ग्रामीण साधु के पास गए और उन्होंने साधु से अपने गांव में नाचने के लिए कहा। साधु सहमत हो गया।
गांव के कुछ युवकों ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि कोई नाचे और बारिश हो जाए। अगर साधु के नाचने से बारिश हो सकती है तो उनके नाचने से भी बारिश हो सकती है।
ग्रामीणों ने युवकों से कहा है तो ठीक है पहले तुम ही नाचो।
युवकों ने नाचना शुरु किया। वे अपनी भरपूर ताकत के अनुसार नाचते रहे, लेकिन बारिश नहीं हुई। आखिर थक गए और उन्होंने नाचना बंद कर दिया।
तब साधु ने नाचना शुरु किया। साधु नाचता रहा। पूरी तन्मयता से लगातार। सुबह से शाम हुई। रात ढ़ली। दिन निकला। फिर दिन भी बीतने लगे। साधु नाचता ही रहा। लगातार बिना रुके। आखिर एक दिन बारिश हो गई।
ग्रामीणों ने ढोल नगाड़े बजाकर बारिश होने का स्वागत किया और साधु को धन्यवाद किया।
युवकों ने सााधु से पुछा कि यह कैसे संभव है, किसी के नाचने से बारिश कैसे हो सकती है।
साधु ने युवकों से कहा मैं बारिश होने के लिए नहीं नाचता। मैं बारिश होने तक नाचता हूं। मै तब तक नाचता हूं जब तक बारिश नहीं हो जाती।
प्रयास भागीरथी हो तो गंगा आ ही जाती है
ओशो प्रवचन
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