हम अपनी कल्पना के अनुसार गढ़ लेते हैं सपने
कहते हैं एक बार एक पेड़ पर एक बिल्ली बहुत ही ध्यानमग्न बैठी थी। एक कुत्ते ने उसे देखा और लगा कि बिल्ली पेड़ से गिर सकती है। वह बिल्ली को गिरने के इंतजार में पेड़ के नीचे खड़ा हो गया। जब काफी देर तक बिल्ली नहीं गिरी तो कुत्ता गुस्से में भौंकने लगा।
बिल्ली बोली चल, ‘सारा सत्यानाश कर दिया। मैं शानदार स्वपन देख रही थी। लग रहा था कि आसमान से चूहों की बारिश हो रही है और मैं खा रही हूं।’
कुत्ता बोला- ’चल झूठी आसमान से कभी चूहों की बारिश होती है। स्वप्न में तो आसमान से तो हड्डियों की बारिश होती है। मै भी देखता हूं’
एक साधु वहां से गुजर रहा था। उसने कहा, ‘तुम्हारा कसूर नहीं है, तुम दोनों ठीक हो। अगर आदमी से पूछोगे तो वो कहेगा स्वप्न में आसमान से हीरे जवाहरातों की बारिश होती है।’
आसमान से ना चूहें बरसते हैं, ना हड्डियां और ना ही हीरे जवाहरात। जो हम चाहते हैं बस उसी की कल्पना करते हैं और स्वप्न मेंं आसमान से बरसाने लगते हैं। एक की कल्पना दूसरे को असंभव लगती है।
हमने बस कल्पना के स्वप्न गढ़ रखे हैं
आपका दिन शुभ हो
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