श्री भगवदधाम मंदिर में शुरु हुआ 74वां भक्ति ज्ञान यज्ञ
- राम कथा सुनने से समाप्त हो जाएगी व्यथा-पंडित प्रहलाद मिश्र
- 13 दिसम्बर तक चलेगा श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ
श्री श्री 108 डा. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है भक्ति मनुष्य को संदेह तथा भय रहित बना देती है। सच्चा भक्त कभी भी भगवान पर संदेह नहीं करता और भगवान भी भक्त को उसके भावों के अनुसार अपनी शरण देते हैं।
डा. स्वामी विवेकानंद जी सोमवार से महम के श्री भगवदधाम मंदिर में शुरु हुए 74वें भक्ति ज्ञान यज्ञ के पहले दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान श्रीराम कथा भी हो रही है। यह भक्ति आयोजन 13 दिसंबर तक चलेगा।
स्वामी जी ने कहा कि भक्ति स्वतंत्र है। आधीनता स्वीकार नहीं करती। भक्ति सर्वगुण संपन्न भी है। भक्ति को पाना है तो सत्संग जाना ही होगा। सत्संग भी केवल जाना ही पर्याप्त नहीं है, पूरे भाव से मर्यादित होकर सत्संग को ग्रहण करना होगा।
श्री राम कथा वाचक मानस मर्मज्ञ पंडित प्रहलाद मिश्र जी ने कहा है रामकथा सुनने से व्यथाएं दूर हो जाती हैं। व्यक्ति परमशांति और भक्ति के मार्ग को उपलब्ध होता है। रामकथा मानव जीवन तथा मानव जीवन की क्रियाओं को सार्थक बनाती है।
कथा वाचन के दौरान पंडित प्रहलाद ने कहा कि भगवान स्वयं कहते हैं कि जिस भाव से उनका भजन किया जाता है, भगवान उसी भाव से भक्त को याद रखते हैं।
पंडित जी ने बताया कि रामकथा का शुभारंभ भगवान शिव से हुआ था। भगवान शिव को करुणा के अवतार माने जाते हैं। उनसे भक्त जो मांगते हैं, वे भक्तों को अवश्य देते हैं। श्री रामकथा सुनने के लिए भगवान शिव भी स्वयं कैलाश से आ जाते हैं। तुलसीदास जी ने श्रीराम की कथा सुनाई है।
उन्होंने कहा कि इंसान के अंदर जब तक संतोष नहीं होता, वह सुखी नहीं हो सकता। उन्होंने भक्तों से संतोष धारण करने को कहा। उन्होंने कहा कि यदि हमेें कुछ चाहिए और हम मांगना भी नहीं चाहते हैं तो बस हम उसकी चर्चा कर लें। देने वाला हमें वह दे देगा। इसी प्रकार यदि हम प्रभू की लीला की चर्चा भी कर लें तो हमें प्रभू वह सब दें देंगे जो हम चाहते हैं।
कथा वाचन के दौरान पवन गेरा, तिलक राज मेहंदीरत्ता, दयानंद, गोपाल कृष्ण, राजकुमार, पुष्कार लाल, हंसराज गेरा, कृष्णा लाल, सुरेश कुमार, वंदना गेरा, मोनिका, नीलम, सुमित्रा, ज्योति, ईश्वर, तान्या तथा चंद्रकांता आदि भी उपस्थित रहे।
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