गुणों की कीमत जानने वाला अपमान करे तो तकलीफ ज्यादा होती है
एक बार एक बालक को खेलते हुए एक कांच की छोटी गेंद जैसा टूकड़ा मिल गया। वह उसे अपनी मां के पास ले गया। उसकी मां ने उसे देखा और कांच का टूकड़ा समझ कर फैंक दिया दिया।
कुछ देर के बाद वह टूकड़ा एक सोनी के हाथ लग गया। सोनी ने उसे उठाया। देखा और कांच का टूकड़ा समझ कर ही फैंक दिया।
एक आदमी उस टूकड़े को बार-बार फैंके जाते हुए देख रहा था। उसने उठाया और वह उसे एक जौहरी के पास ले गया।
जौहरी समझ गया कि यह एक बेशकीमती हीरा है। उसके मन में लालच आ गया। उसने उस आदमी को यह दिखाने के लिए कि यह कांच का टूकड़ा है, उसे फेंक दिया। कहा कि कांच का टूकड़ा है।
इस बार हीरा बिखर कर टूट गया। उस व्यक्ति ने उसे उठाया और सोचा कि यह कैसे हुआ?
इस टूकड़े को बार-बार फैंका गया, यह नहीं टूटा। इस बार क्यों टूट गया?
हीरे की तरफ से उसे आवाज सुनाई दी।
अब तक फैंकने वाले मेरी कीमत नहीं जानते थे। उन्होंने मुझे फैंक दिया मुझे दु:ख नहीं हुआ, लेकिन इस बार मुझे जौहरी ने फैंका है। जिसे मेरी कीमत पता था। इसलिए मैं बिखर कर टूट गया।
जब गुणों की कीमत जानने वाला अपमान करता है तो तकलीफ बहुत होती है। नहीं जानने वाला कुछ कहता रहा दर्द इतना नहीं होता।
आपका दिन शुभ हो
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