अच्छी संगति का फल भी अच्छा
एक बार एक भंवरे और एक गोबरी (गोबर में रहने वाले) में मित्रता हो गई। मित्रतावश भंवरे ने कीड़े को अपने यहां आने का निमंत्रण दे दिया।
अगले दिन कीड़ा भंवरे के यहाँ पहुँचा! भंवरे ने कीड़े को उठा कर गुलाब के फूल में बिठा दिया! कीड़े ने परागरस पिया! मित्र का धन्यवाद कर ही रहा था कि पास के मंदिर का पुजारी आया और फूल तोड़ कर ले गया और बिहारी जी के चरणों में चढा दिया! कीड़े को ठाकुर जी के दर्शन हुये! चरणों में बैठने का सौभाग्य भी मिला! संध्या में पुजारी ने सारे फूल इक्कठा किये और गंगा जी में छोड़ दिए! कीड़ा अपने भाग्य पर हैरान था! इतने में भंवरा उड़ता हुआ कीड़े के पास आया, पूछा-मित्र! क्या हाल है? कीड़े ने कहा-भाई! जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति हो गयी! ये सब अच्छी संगत का फल है!
संगत से गुण ऊपजे, संगत से गुण जाए
लोहा लगा जहाज में , पानी में उतराय!
आपका दिन शुभ हो!!!!!
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amazing pr hm log Khan dhyan dete hai संगति पर , और बुरी संगति में अगर चलें b जाएं तो फिर उसे छोड़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा ही हो जाता हैं