सैमाण मंदिर में आए डा. सुशील गुप्ता को प्रसाद भेंट करते महंत सतीश दास

महंत जी ने साफ किया कि इस मुलाकात के ना निकाले जाएं राजनीतिक मायने

फिर भी राजनीति संभावनाओं और अवसरवादिता का खेल
इंदु दहिया

महम विधान सभा में अचानक राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस बार इन गतिविधियों के केंद्र में आम आदमी पार्टी है। पंजाब में बंपर जीत के बाद आम आदमी हरियाणा में अपनी संभावनाएं तलाश रही है। आप नेता अचानक बने महौल का फायदा उठाना चाहते हैं। यहीं कारण है कि आए दिन किसी ना किसी कार्यकर्ता के आप में शामिल होने की सूचनाएं आ रही हैं। सैमाण मंदिर के महंत सतीश दास से आप के प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद डा. सुशील गुप्ता की मुलाकात के बाद राजनीतिक चर्चाएं और अधिक बढ़ गई हैं। हालांकि महंत जी ने सपष्ट कर दिया है कि इस मुलाकात के राजनीति मायने कतई ना निकाले जाएं। इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राजनीति संभावनाओं और अवसरवादिता के खेल है। राजनीति का ऊंट किस करवट बैठ जाए किसी को नहीं पता।
महंत सतीश दास ने 24c न्यूज से बातचीत में साफ कहा कि वे एक धार्मिक स्थान पर विराजमान है। इस स्थान की गरिमा उनके लिए सर्वोपरी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने बेशक इनेलो पार्टी से चुनाव लड़ा। भाजपा में भी सक्रिय हुए। लेकिन यह केवल चुनाव के दिनों की सक्रियता थी। मूल रूप से वे अत्यंत प्रतिष्ठित एवं पुजनीय धर्मस्थल सैमाण मंदिर में विराजमान हैं। यही उनके लिए महत्वपूर्ण भी है।
उन्होंने कहा कि डा. सुशील गुप्ता सैमाण गांव के भांजे हैं। वे सैमाण मंदिर के प्रति श्रद्धा रखते हैं। उसी श्रद्धावश वे यहां आए थे। उनका मंदिर में श्रद्धालु की भांति स्वागत किया गया था। उन्होंने श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना की।
राजनेता हैं तो राजनीति की बातें भी हो जाती हैं
महंत सतीश दास जी ने कहा कि डा. सुशील गुप्ता एक राजनेता हैं, ऐसे में राजनीतिक बातें भी थोड़ी बहुत हो जाती हैं। कुछ हल्की फुल्की चर्चाएं अवश्य हुई, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि फिलहाल वे मंदिर की गतिविधियों पर ही ध्यान देना चाहते हैं। फिलहाल उनका किसी भी पार्टी में सक्रिय होने का भी इरादा नहीं है। सबसे उनके अच्छे संबंध हैं। हालांकि उनको कहा गया कि महम के कई बड़े नाम आप के संपर्क में हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
नहीं करेंगे जल्दबाजी
महंत सतीश दास 2014 में इनेलो पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। उनका प्रदर्शन भी अच्छा रहा था। उन्हें 32 हजार से अधिक वोट मिले थे। 2019 में उनका झुकाव भाजपा की ओर हो गया था, लेकिन भाजपा की टिकट शमसेर सिंह खरकड़ा को ही मिल गई थी। 2019 के चुनावों के बाद से महंत सतीश दास राजनीति में लगभग निष्क्रिय से हैं। मंदिर की गतिविधियों पर ही ध्यान दे रहे हैं। सुशील गुप्ता के मंदिर आगमन से फिर से चर्चा में आ गए।

महम की राजनीति में क्यों है महत्वपूर्ण?
महंत सतीश दास बेशक 2014 में इनेलो प्रत्याशी के रूप में महम विधान सभा से चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद उस समय के हालातों में उनका प्रदर्शन अच्छा था। दरअसल महंत सतीश दास जिस सैमाण मंदिर के गद्दी नशीन महात्मा हैं, उस मंदिर की महम ही नहीं बल्कि प्रदेश देश भर मान्यता हैं। इसके अतिरिक्त यह मंदिर महम चौबीसी पंचायत के सैमाण तपा गांव का मुख्य गांव हैं। सैमाण तथा आसपास की भैणियां इस तपे का हिस्सा है। ऐसे में यह एक गांव महम विधानसभा का एक महत्वपूर्ण गांव है।
समाज सेवा में सक्रिय हैं महंत सतीश दास
महंत सतीश दास इस मंदिर के पूर्व महात्मा की तरह स्वयं भी समाजसेवा में सक्रिय रहते हैं। महम की श्रीकृष्ण गौशाला में उनका अग्रणी योगदान रहता है। इसके अतिरिक्त अन्य समााजिक कार्यों में भी वे समय-समय पर योगदान देते हैं तथा शामिल भी होते हैं। स्कूलों, तालाबों के घाटों, पानी की टंकियों तथा चौपालों आदि के निर्माण में वे योगदान देते रहते हैं। यही कारण है कि महंत सतीश दास जी को महम में ’खास’ का स्थान रखते हैं। अब यह तो समय ही बताएगा कि महंत सतीश दास आने वाले समय में किसी राजनीतिक दल में सक्रिय होंगे या नहीं? लेकिन यह फिलहाल उनकी डा. सुशील गुप्ता से मुलाकात से महम की राजनीति कुछ गरमाहट जरूर है।
(महंत सतीश दास से बातचीत पर आधारित) इंदु दहिया/ 8053257789
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