स्त्री और पुरुष का भेद मिट जाना परमज्ञान
भगवान बुद्ध के दो भिक्षु, भिक्षा के लिए गए थे। आते हुए रास्ते मे एक नदी के पुल से गुजरते हुए उन्होंने देखा कि एक महिला नदी में डूब रही थी और वो ‘बचाओ- बचाओ’ चिल्ला रही थी।
एक भिक्षु ने उसकी तरफ देखा और बिना ध्यान दिए आगे की और बढ़ गया। जबकि दूसरे भिक्षु ने अपनी पोटली रखी और नदी में छलांग लगा दी। महिला को बचा कर किनारे ला दिया।
फिर दोनों भिक्षु आश्रम की और चल दिए।
जाते ही एक भिक्षु ने भगवान बुद्ध से दूसरे भिक्षु की शिकायत की। उसने कहा, भगवान इस भिक्षु ने महिला को छुआ है। भिक्षु द्वारा महिला को छूना भी मनाह है। इसलिए परम्परा अनुसार इसे आश्रम से निकला जाए।
भगवान बुद्ध ने आरोपी भिक्षु को बुलाया और पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया?भिक्षु ने कहा , ‘ भगवान मैने तो एक डूबते प्राणी की जान बचाई थी। मैं स्त्री और पुरुष के भेद को नहीं जानता। मुझे नहीं पता, वो स्त्री था या पुरुष। मेरे भिक्षु साथी ने देखा होगा, वो स्त्री था या पुरुष।’
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘तुम बुद्ध हो गए हो। तुम्हे अब किसी ज्ञान की आवश्कता नहीं है। तुमने नियम नहीं तोड़ा, बल्कि बुद्धत्व के सिद्धांत की स्थापना की है। जाओ और दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाओ।’
बौद्ध कथा
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