107 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
जीवन भर अपने पास आने वालों में आध्यात्मिक चेतना का संचार किया
लोगों के कष्ट दूर किए
महम की 107 वर्षीय महिला दयावंती ने आज संसार को अलविदा कह दिया। दयावंती को महम की सबसे बुजुर्ग महिला माना जाता था। उनका जन्म 1913 में वर्तमान के पाकिस्तान के जिला मुलतान में हुआ था। उनका विवाह भी जिला मुलतान के कबीरवाली के गोपीचंद सिंधवानी के साथ बटवारे से पहले ही हो चुका था।
आध्यात्मिक ऊर्जा का करते थे संचार
दयावंती अत्यंत धार्मिक व आध्यात्मिक विचारों की महिला थी। कहतेे हैं उनके दर्शनमात्र से ही शरीर व मन के कष्ट दूर होते थे। श्रद्धा से उनके पास जाने वालों को मिला उनका आशीर्वाद निष्फल नहीं जाता था। उनके एक श्रद्धालु प्रेम धवन ने बताया कि वे 2005 में वह कई शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से घिर गया था। उनके पास गया, उन्होंने मुझे सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलने से मेरी परेशानियां दूर हो गई थी। इसी प्रकार और भी कई लोग हैं जो माता दयावंती की सकारात्मक ऊर्जा से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन प्राप्त कर चुके हैं।
छोड गई हैं 47 सदस्यों का परिवार
दयावंती के पौत्र वरुण पटवारी ने बताया कि वे अपने पीछे पुत्र रमेश, सुभाष तथा गुलशन तथा पुत्री संतोष तथा बबली के पुत्र तथा पुत्रियों के भरे पूरे परिवार छोड़कर गई हैं। उनके पुत्रों और पुत्रियों के परिवार मे वर्तमान में कुल 47 सदस्य हैं। वे अंतिम समय तक स्वास्थ्य थी। अत्यंत सात्विक जीवन जीती थी तथा सात्विक आहार ग्रहण करती थी। वे प्रतिदिन भगवान का भजन करती थी तथा अपने पास वालों के भी कष्ट दूर करने में सहायता करती थी।
उनका अंतिम संस्कार आज 11 बजे नए बस स्टैंड के पास राम बाग में किया गया। इस अवसर पर काफी संख्या में शहर के नागरिक उपस्थित रहे।
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