किन नामों की है चर्चा! किसका दावा है मजबूत
महम नगरपालिका में उपप्रधान का चुनाव सोमवार को होना तय हुआ है। प्रधान चुनाव के बाद सुस्त हो गई थी, महम की राजनीति में फिर से हलचल है। उपप्रधान के चुनाव की चर्चा गर्म है। सब अपने-अपने तरीके से कयास लगा रहे हैं।
इनके नामों की है चर्चा
पालिका प्रधान अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित था। सीधे चुनाव में भारती पंवार प्रधान चुनी जा चुकी है। अब उपप्रधान चुने गए पार्षदों में से चुना जाना है।
फिलहाल महम में उपप्रधान के लिए वार्ड 7 पार्षद बसंतलाल गिरधर, वार्ड के पार्षद 8 विनोद गोयल, वार्ड के 14 पार्षद विकास श्योराण, वार्ड 4 की पार्षद मोनिका तथा वार्ड 11 की पार्षद चंचल चाबा के नाम चर्चा में हैं।
हालांकि पूर्व उपप्रधान शैंकी गिरधर के भी फिर से उपप्रधान बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन बसंत लाल गिरधर का कहना है कि शैंकी ने उनके लिए अपनी दावेदारी छोड़ दी है।
प्रत्याशी अपने-अपने साथ 5 या उससे अधिक पार्षदों के दावा कर रहे हैं। उपप्रधान पद के सभी दावेदार भाजपा के कार्यकर्ता हैं। जो अपने अपने तरीके से जहां तक संभव है, नेताओं का आशीर्वाद लेने का प्रयास भी कर रहे हैं।
गेंद किसके पाले में है?
चाहे कोई कुछ भी कहे। वर्तमान में स्थिति यह है कि गेंद पूरी तरह भाजपा नेता शमशेर खरकड़ा के पाले में हैं। खरकड़ा ने सभी पार्षदों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर उनकी राय व भावनाएं भी जानी हैं।
जानकारी मिली है कि अधिकतर पार्षदों ने कहा है कि वे खरकड़ा के साथ हैं और जिसका खरकड़ा कहेंगे वे उसका ही समर्थन करेंगे। ऐसे में लगता नहीं कि चुनाव की भी नौबत आएगी। सम्भव है कि सभी पार्षद एक मत होकर उपप्रधान का नाम तय कर लेंगे।
क्या हैं समीकरण
महम नगरपालिका में 15 वार्ड हैं। यहां पार्टी चुनाव चिह्न पर केवल प्रधान का चुनाव आम आदमी पार्टी तथा इनेलो ने लड़ा था। प्रधान सहित सभी पार्षद निर्दलीय ही जीत कर आए हैं, लेकिन प्रधान तथा लगभग 10 पार्षद तो सीधे भाजपा से ही जुड़े हुए हैं। 3 से 5 गैर भाजपा पृष्ठभूमि के पार्षदों ने भी शमशेर खरकड़ा के साथ जाकर उनका सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
इनमें से तीन पार्षद कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। इनमें से भी कम से कम दो का कहना है कि वे उपप्रधान के चुनाव में शमशेर खरकड़ा के साथ हैं। तीन अन्य पार्षदों के बारे में भी कहा जा रहा है कि इन्होंने भी खरकड़ा को ही अंतिम निर्णय का अधिकार दे दिया है।
घमासान भाजपाई पार्षदों में
उपप्रधान के लिए घमासान भाजपाई पार्षदों में ही है। दावेदार भी भाजपा पार्षद ही हैं। जातीय समीकरणों, वरिष्ठता, पार्टी के प्रति निष्ठा, खरकड़ा के प्रति निष्ठा, काम करने की क्षमता आदि के आधार पर अपने अपने दावों को सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है।
गैरभाजपाई पार्षदों की दावेदारी नहीं होने से निर्णय हुआ आसान
गैरभाजपाई पृष्ठभूमि के पार्षदों के दावेदार नहीं होना तथा उनका लगभग एकजुट होकर शमशेर खरकड़ा को समर्थन देना, निर्णय लेने की परिस्थितियों को आसान बना रहा है।
चुनाव होने की स्थिति में शमशेर खरकड़ा से असहमति रखने वाले प्रत्याशी के लिए बहुमत जुटाना आसान नहीं होगा। हालांकि इसके लिए प्रयास निश्चिततौर पर किए जा रहे हैं।
शमशेर खरकड़ा पर छोड़ा फैसला
ताज़ा जानकारी यह मिली है कि पार्षदों की एक बैठक हुई है। बैठक में सभी पार्षद या उनके प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से अंतिम निर्णय शमशेर खरकड़ा पर ही छोड़ दिया है। ऐसे में चुनाव का सर्वसम्मति से होना लगभग तय हो गया है। इस बैठक में प्रत्याशी बने पार्षदों को छोड़कर अधिकतर ने अपना वोट खरकड़ा को देने की बात की तो प्रत्याशियों ने भी यही निर्णय लिया।
क्या कहना है खरकड़ा का?
शमशेर खरकड़ा का कहना है कि उन्हें खुशी है कि शहर के विकास के लिए सभी 15 पार्षद व प्रधान उनके साथ एकजुट हैं। उपप्रधान का चुनाव कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। सभी पार्षद एकजुट होकर जिसके नाम पर सहमति देंगे। उसके साथ ही उनकी भी सहमति होगी। उन्हें विश्वास है कि चुनाव की नौबत नहीं आएगी। (विज्ञप्ति) इंदु दहिया/ 8053257789
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