भगवान रहते हैं भक्तों के वश में-पंडित जितेंद्र दीक्षित
संजीव मोखरा
पंडित जितेन्द्र दीक्षित ने कहा है कि भगवान भक्तों के वश में रहते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को सूर्यवंश की वंशावली का पूर्ण वर्णन भी सुनाया।पंडित जितेन्द्र दीक्षित गांव मोखरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।पंडित जी ने राजा दशरथ के बुढ़ापे में पुत्र प्राप्ति का कारण बताते हुए कहा कि राजा दशरथ एक योगी पुरुष थे। उनके संतान न होने पर उनके गुरु की पत्नी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा जागृत करने के लिए वामन देव को गोद में लेकर सभा में गई।उन्होंने कहा कि यह वामन देव कह रहे हैं कि सूर्यवंश की गुरु पद्धति आगे किस प्रकार चलेगी, क्योंकि आपके तो संतान नहीं है।
यह सुनकर राजा दशरथ चिंचित हुए और पुत्र प्राप्ति की इच्छा जागृत हुई।उन्होंने ऋषि विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ, श्रृंगी ऋषि के आशीर्वाद से पुत्र कामेष्ठी यज्ञ कराया। इसके फलस्वरूप राजा दशरथ के यहां पर भगवान राम प्रकट हुए। जो फल यज्ञ में राजा दशरथ को दिया गया उसका एक हिस्सा सरोवर में माता अंजनी की गोद में डाल दिया। इसके प्रताप से पवन पुत्र हनुमान प्रकट हुए। कथा में श्री कृष्ण जन्म लीला का वर्णन भी किया गया।कथा का शुभारम्भ भानु ठेकेदार ने किया। कथा सुनने के लिए समर गोपालपुर और सिंहपुरा से भी श्रद्धालु पहुंचे।
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