पंडित सोनू शर्मा करवा रहे हैं अनुष्ठान

भैणीचंद्रपाल की सीमाएं हो चुकी हैं सील, 24 घंटे के लिए प्रवेश व निकासी बंद

पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए शुरू किया गया है अनुष्ठान
तालाब पर तैयार की गई है हवन सामग्री, पूरे गांव में दी जाएगी धूमणी
2016 में लगाया गया था अब से पहले गांव मे ऐसा बंद
महम

महम हलके के गांव भैणीचंद्रपाल में शाम लगभग छह बजे से बंद लगा दिया गया है। गांव की सीमाएं सील कर दी गई हैं। ना गांव से कोई बाहर जा सकेगा ना ही कोई गांव में अंदर प्रवेश कर सकेगा। ग्रामीण यह अनुष्ठान गांव के पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए कर रहे हैं।
जब भी गांव के पशुओं में विशेषकर मुंहखुर की बीमारी आती है तो प्रदेश के कई गांवांें में ग्रामीण 24 घंटे के लिए इस प्रकार का बंद लगाते हैं।
24 घंटे गांव में नहीं जलेगा चूल्हा
भैणीचंद्रपाल निवासी पूर्व चेयरमैन नरेश बडाभैण ने बताया कि गांव की सीमाएं बुधवार शाम छह बजे तक सील रहेंगी। इस दौरान गांव में प्रवेश या गांव से बाहर जाना तो वर्जित है ही, गांव में चूल्हा भी नहीं जलाया जाएगा। केवल मंदिर में ही प्रसाद बनाया जाएगा। ग्रामीण उसे ही ग्रहण करेंगे। घरों में बंद लगाए जाने से पूर्व ही ग्रामीणों ने अपने लिए भोजन बनाकर खा लिया। बंद के दौरान कोई भोजन नहीं करेंगे। ज्यादा जरूरी होगा तो मीठा भोजन ही किया जाएगा।

गांव के तालाब पर तैयार की गई है हवन सामग्री

20 से 25 ड्राम एकत्र होगा दूध
सुबह गांव का सारा दूध सामुहिक खीर बनने के लिए आ जाएगा। खीर बनाने के लिए हलवाई आ चुके हैं। कल शाम छह बजे तक ये गांव में ही रूकेंगे। ग्रामीण इस दौरान इस खीर का भोजन ही ग्रहण करेंगे। नरेश बडाभैण ने बताया कि बुधवार की सुबह 20 से 25 ड्राम दूध एकत्र होने की संभावना है।
गांव में ही रहेंगे पंडित जी
इस अनुष्ठान को पूरा करवाने के लिए पंडित सोनू शर्मा भी गांव में पहुंच चुके हैं। वे बंद के दौरान गांव में ही रहेंगे। हवन सामग्री की धूमणी गांव में देनी आरंभ कर दी गई है।

धूमणी देने के लिए निकल पड़ी टीमें

19 टीमें दे रहीं हैं धूमणी
भैणीचंद्रपाल में 15 वार्ड हैं। सभी वार्डो के लिए चार-चार युवाओं की एक-एक टीम बनाई गई है। ये टीमें गांव के हर घर में जाकर धूमणी देंगी। इसके अतिरिक्त गांव की सीमाओं पर भी धूमणी देने के लिए चार टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें गांव के चारों ओर धूमणी देे रही हैं।
दूब से बने रस्से गुजरेंगे सभी पशु
रात भर सभी पशु अपने खुट्टे पर रहेंगे। सुबह पशुओं को तालाबों पर ले जाया जाएगा। यहां एक दूब का रस्सा सा बनाकर बांधा जाएगा। पशुओं को इस रस्से के नीचे से गुजारा जाएगा। पशुओं पर विशेष रूप से तैयार किए जल का दूब से ही छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए भी टीमों का गठन किया गया है। 24c न्यूज/ दीपक दहिया/ 8950176700

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