एक जादूगर की चुनौती

तेनाली रामा अपनी बुद्धि और हास्य के लिए प्रशिद्ध थे। बात उस समय की है जब वो राजा कृष्णदेवराय के दरबार के सदस्य नहीं थे। एक बार जब राज गुरु नगर भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने राज गुरु से दरबार में सम्मलित होने और मनोरंजन करने का अनुरोध किया।

तेनाली रामा ने अपनी लिखी कुछ हास्य पंक्तियाँ भी राज गुरु को दिखाई। राज गुरु ने उन्हें कह दिया कि ठीक है मैं महाराज से बात कर तुम्हें बता दूंगा।

कई हफ्ते बीतने के बाद भी राज गुरु को कोई जबाब जब नहीं आया तो तेनाली रामा ने खुद राज गुरु से मिलने का फैसला किया। जब राज गुरु ने उन्हें देखा तो वह आश्चर्यचकित हो गए कि रमन ने उसकी बातों को इतनी गंभीरता से लिया और मिलने भी आ पहुंचा।

उस समय फिर राज गुरु ने रामा को टाल दिया। लेकिन रामा हार मानने वाला नहीं था। वह बस राजा के लिए अपनी योग्यता साबित करने का एक मौके का इंतजार कर रहा था।

अगले दिन रमन रमन दरबार में पहुंच गया जहाँ एक प्रसिद्ध जादूगर राजा और उसके दरबारियों का मनोरंजन कर रहा था। खेल के अंत में जादूगर ने दरबार में मौजूद सभी दरबारियों को चुनौती दी कि अगर कोई आकर उसे हरा दे तो वो उसका गुलाम हो जायेगा।

कोई भी दरबारी आगे नहीं आया। यह देख राजा को शर्म आ गई। तभी रामा ने खड़े होकर घोषणा की कि वह जादूगर को चुनौती दे सकता है। राजा ने रामा को देखा और बोले, “ठीक है यदि तुम इस जादूगर को हरा दोगे तो तुम्हें सोने से भरा एक थैली उपहार में दिया जायेगा।”

दूसरे दिन जब रामा दरबार की और जा रहे थे तभी उस जादूगर ने रामा को देखकर कहा “रामा तुमने चुनौती स्वीकार कर बहुत गलत किया! तुम्हें सोने से भरी थैली तो नहीं मिलेगी! हाँ! मैं तुम्हें यह रेत से भरी थैली देता हूँ। जब जब इसे देखोगे तो मेरी याद आएगी।” और हंसकर चल दिया।

दरबार में रामा ने उस जादूगर से कहा, क्या जो काम मैं अपनी आखे बंद करके कर सकता हूँ तो क्या वो काम तुम खुली आखों से कर सकते हो। जादूगर बिना सोचे समझे सहमत हो गया।

रामा ने वही रेत वाली थैली निकाली अपनी आखें बंद की और एक मुठी रेत निकालकर अपनी आखों पर रेख दी।जादूगर ने तुरंत हार मान ली क्योंकि वह जानता था कि वह अपनी आँखों के अंदर रेत नहीं डाल सकता है।

राजा रामा से बहुत खुश हुए और उन्हें एक सोने की थैली दी और उनकी बुद्धिमता से प्रसन्न होकर अपने दरबार में मंत्री के रूप में नियुक्त कर लिए।

इस प्रकार रामा ने उस अवसर का उपयोग किया जिसे उस जादूगर ने मात्र मज़ाक में रेत के रूप में दिया था।

इसलिए हर चुनौती में एक बड़ा अवसर छिपा होता है। आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है, पर निराशावादी प्रत्येक अवसर में कठिनाइयाँ ही खोजता है।

आपका दिन शुभ हो!

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