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दो टके की पगड़ी बिकी छह टके में- आज का जीवनमंत्र 24c

संत कबीर जी पगड़ी कहा जाता है कि एक बार संत कबीर जी ने बड़ी ही कुशलता से एक पगड़ी बनाई। झीना-झीना कपड़ा बुना और उसे गोलाई में लपेटा। फिर…

आंखों देखा क्या हमेशा सच होता है?: आज का जीवनमंत्र 24c

बादशाह और एक नेक इंसान की कहानी एक बादशाह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था। एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा…

क्यों कहते हैं सच को आंच नहीं?-आज का जीवनमंत्र 24c

आग में नही जला जुलाहे का कम्बल!! एक नगर में एक जुलाहा रहता था। बहुत ईमानदार और नेक। वह बहुत बढ़िया कम्बल तैयार करता था उसके लिए काम करने वालों…