खोद खाद धरती सहै, काट कूट वन राय’-महात्मा कबीर, जीवनसूत्र, 24 सी
महात्मा कबीर वाणी निंदा या कठारे वचनों को साधरण व्यक्ति सहन नहीं कर पाता है। वो विचलित हो जाता है। क्रोध करने लगता है। आपा खो देता है। जिस व्यक्ति…
महात्मा कबीर वाणी निंदा या कठारे वचनों को साधरण व्यक्ति सहन नहीं कर पाता है। वो विचलित हो जाता है। क्रोध करने लगता है। आपा खो देता है। जिस व्यक्ति…