लघु कथा
एक लहलाता हरा भरा वृक्ष था। एक दिन एक सुंदर सा दिखने वाला पक्षी वृक्ष की डाल पर आ बैठा। पक्षी सुंदर गीत सुनाता। अच्छी बातें करता। वृक्ष का मन बहला रहता। वृक्ष की जड़ को लगा, वो कमज़ोर हो रही है।जड़ को पक्षी पर शक हुआ।उसने टहनी से कहा मुझे इस पक्षी में कुछ गड़बड़ लग रही है।
टहनी ने कहा ये पक्षी मुझे गीत सुनाता है, इसलिए आपको ईष्र्या हो रही है।जड़ ने कहा मैं सूख रही हूं।टहनी ने कहा तो सूखो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
आखिर जड़ सूख गई। बची टहनी भी नहीं।
पक्षी तो उड़ गया, एक नए वृक्ष को सूखाने के लिए।
पक्षी के पंजों में ज़हर था।
कुछ मीठे मुख वालों के पंजे ज़हरीले भी हो सकते हैं।
~बिजेंद्र ‘विजय’ दहिया
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