एक घंटे में किए 1580 फारवर्ड रोल (कुलाबाती)
इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड के लिए रविवार को किया दावा पेश
गिनीजि बुक ऑफ रिकार्ड़ में दर्ज रिकार्ड़ को तोडऩे को तैयार
24 सी न्यूज
वैसे तो महम चौबीसी के युवाओं के नाम कई रिकार्ड़ हैं। अब देश व दुनिया में एक नया रिकार्ड़ बनने जा रहा है। यह रिकार्ड़ होगा एक घंटे में सबसे ज्यादा फारवर्ड रोल करने अर्थात कुलाबाती खाने का। गांव सीसर के युवा कुलदीप सिंह ने इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड़ के लिए तो रविवार को दावा पेश कर दिया है। शीघ्र ही वह गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड़ के लिए साढ़े दस घंटे में सबसे ज्यादा फारवर्ड रोल करने का दावा करने वाले हैं।
महम के खेल स्टेडियम में कुलदीप ने आज महम के खेल स्टेडियम में एक घंटे में 1580 फारवर्ड रोल किए। कुलदीप के कोच परमिन्द्र के अनुसार पहले इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड़ मे यह रिकार्ड़ एक घंटे में 1211 का है। कुलदीप को इस अवसर पर उनके कोच परमिन्द्र के अतिरिक्त ब्लाक समिति सदस्य राजबीर, डीपीई साधू बाबा, कोच जोगेंद्र गिल, कुलदीप सीसर तथा मांगे सीसर भी आशीर्वाद देने पहुंचे।
क्या होता है फारवर्ड रोल
फारवर्ड रोल में आगे की तरफ रोल करना होता है। हाथों के सहारे जंप करते हुए गर्दन को शरीर की ओर लाकर कमर के बल रोल करके फिर आगे हाथों के बल पर घुमते हुए जाना होता है। इसे हरियाणा में कुलाबाती कहा जाता है। गांवों में बच्चे रेत में खेलते हुए इसका खूब आनंद लेते थे। अब रेत के मैदानों की कमी के कारण यह खेल गायब होने लगा है।
सेना में मिलती है सजा
सेना में यदि किसी जवान से गलती हो जाती है तो फारवर्ड रोल अर्थात फ्रैंट रोल की सजा दी जाती है। इसके लिए शरीर में पूरी ऊर्जा चाहिए। फारवार्ड रोल सबसे नहीं होता। अधिकतर लोगाों को ऐसा करते हुए चक्कर आ जाते हैं, क्योंकि इसमें घूमना पड़ता है। ऐसे में फारवर्ड रोल आसान नहीं है। सावधानी नहीं रखी जाए तो चोट लगने का खतरा भी रहता है।
गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड़ के लिए प्रक्रिया जारी
कुलदीप के कोच परमिन्द्र ने बताया कि गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड़ के लिए भी कुलदीप का अभ्यास व प्रक्रिया जारी है। गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड़ में कुलदीप ने साढ़े दस घंटे लगातार सबसे अधिक फारवर्ड रोल करने का दावा करेगा। कुलदीप साढ़े दस घंटे में 8600 फारवर्ड रोल कर सकता है जबकि गिनिज बुक ऑफ रिकार्ड़ में 8341 का रिकार्ड दर्ज है।
पिता को करेंगे समर्पित
अत्यंत सरल स्वभाव का कुलदीप साधरण किसान परिवार से संबंध रखता है। पिता उमेद सिंह का इसी वर्ष बीस जून को देहांत हो गया। परिवार में अब मां मूर्ति देवी के अतिरिक्त एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन हैं। कुलदीप कहते हैं यह रिकार्ड उनके नाम होने का उन्हें पूरा विश्वास है। यह रिकार्ड वह अपने पिता को समर्पित करेंगे। कुलदीप ओक्सोजोन जिम हिसार में बतौर ट्रेनर कार्य करते हैं। इस रिकार्ड के लिए पिछले एक साल से मेहनत कर रहे हैं।
रगबी के खिलाड़ी थे, कबड्डी का बनना था
कुलदीप सिंह रगबी के अखिल भारतीय विश्वविद्यालय चैंपीयनशिप के विजेता टीम के खिलाड़ी रहे हैं। उसके बाद कुलदीप कबड्डी का खिलाड़ी बनना चाहते थे। कुछ ऐसा करने की इच्छा भी थी कि उनके नाम कोई अलग से रिकार्ड़ हो। तब अपने कोच की सलाह पर उन्होंने फारवर्ड रोल की ओर ध्यान देना शुरु किया। परमिन्द्र का कहना है कि फारवर्ड रोल केवल वही खिलाड़ी कर सकता है, जिसमें इसके लिए प्राकृतिक प्रतिभा हो।
यो काम तो हामें कर सकां हां
दरअसल कुलाबाती खाणा आज भी बच्चों में लोकप्रिय है। विशेषकर गांवों में जहां कच्चे मैदान या रेत मिल जाता है बच्चे इस खेल का खूब आनंद लेते हैं। महम इलाका अभी भी काफी हद तक ग्रामीण परंपराओं को सहेजे हुए हैं। जब कुलदीप कुलाबाती खा रहा था तो वहां कई युवा हंस कर कह रहे थे।
भाई यो काम तो हामें कर सकां हां। खा भी सकां हां अर खुआ भी सका हां