रामअवतार वर्मा का निधन महम की रामलीलाओं के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। वे एक समर्पित कलाकार थे। 69 वर्षीय रामअवतार अपने पीछे तीन बेटियों का परिवार छोड़ कर गए हैं। महम में ही सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके अंतिम संस्कार के अवसर पर उनके परिजनों के अतिरिक्त रामलीला के कलाकार तथा शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। रामलीला के प्रति योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
24सी न्यूज ने रामअवतार वर्मा पर एक विशेष खबर 14 अक्टूबर 2020 को पोस्ट की थी। 24सी न्यूज उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप आज फिर उस न्यूज का फिर से पोस्ट भी कर रहा है।
इनके नाम से जुटती थी रामलीला में भीड़
रावण की भूमिका के लिए मुख्य रूप से जाने जाते हैं
दशरथ, बाली और केवट की भूमिका के लिए भी किए जाते हैं याद
एक साल राम की भूमिका भी नहीं निभाई
24सी न्यूज
कभी-कभी कोई कलाकार ऐसा आ जाता है जो रामलीला नाट्य मंचन की धारा को बदल देता है। राम से लेकर रावण तक बने रामअवतार ऐसे ही एक रामलीला कलाकार रहे हैं, जो रामलीला प्रेमियों में अतिप्रिय हैं और साथी कलाकारों में अति सम्मानित।
23 जून 1953 को महम में केवल राम वर्मा के घर जन्में रामअवतार की माता श्री का नाम परमेश्वरी देवी था। उन्होंने 1970 में रामलीला में भूमिका निभाना शुरु किया था। 1974 में रावण की भूमिका निभाई उसके बाद इस भूमिका पर इनकी छाप लग गई। 1993 में रामअवतार वर्मा राम भी बने।
अलग लुक और संवाद ने दी खास पहचान
रामअवतार वर्मा ने रामलीला में पहनावे को एक अलग अंदाज दिया। उन्होंने महिला साड़ी का पुरुष धोती के रूप में इस्तेमाल किया तथा छाती को खुली रखा और विशेष श्रृंगार किए। आवाज इतनी दमदार और अंदाज इतना दिलकश कि इनके नाम से ही रामलीला भीड़ जुटती थी। ज्यादा समय पंचायती रामलीला में ही भूमिका निभाई है, लेकिन बीच-बीच दूसरी रामलीलाओं में भी भाग लिया।
संपूर्ण कलाकार
रामअवतार वर्मा एक संपूर्ण कलाकार हैं। उन्होंने अभिनय के अतिरिक्त गायन व वादन भी किया है तथा भजन व गीत भी लिखे हैं। एक चर्चित हरियाणावीं फिल्म ‘छोरा चौबीसी का’ में खलनायक की भूमिका भी निभाई है। रावण के अतिरिक्त उन्हें दशरथ, केवट, परशुराम और बाली की भूमिकाएं भी उन्होंने शानदार निभाई हैं। उन्होंने अंतिम भूमिका दो हजार बारह में कैकेयी के रूप में निभाई।
वाकया विशेष
रामअवतार वर्मा बताते हैं कि वे भूमिका में पूरी तरह से खो जाते थे। अपना श्रृंगार व अन्य सामान खुद का रखते थे। उनके पास लोहे की त्रिशुल थी। एक बार एक युद्ध के दृश्य में वो ऐसे खोए कि उन्होंने त्रिशुल को इतना जोर से घुमाया कि त्रिशुल सीधी दीवार में फस कर झूल गई। रामलीला के मंच की पीछे वाली दीवार छोटी ईंटों की थी। शुक्र है बड़ा हादसा होने से टल गया।
एक बार उनसे रावण की भूमिका के दौरान ट्यूब टूट गई। साथी कलाकार नाराज हुए, लेकिन निदेशक ने हंस कर टाल दिया और कहा ‘बांदरी की बच्चा थोड़े ही हैं, रावण है ट्यूब ए तोड़ैगा।’
इंदु दहिया/ 8053257789
आज की खबरें आज ही पढ़े
साथ ही जानें प्रतिदिन सामान्य ज्ञान के पांच नए प्रश्न
डाउनलोड करें, 24c न्यूज ऐप, नीचे दिए लिंक से
Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews