Home ब्रेकिंग न्यूज़ किस हाल में है आदर्श रामलीला रचयिता, जानिए पूरा हाल भगत रामकुमार...

किस हाल में है आदर्श रामलीला रचयिता, जानिए पूरा हाल भगत रामकुमार ‘कंवर’ का

परिवार के साथ खुश हैं, भजन गाते हैं तो लौट आती है रौनक

  • देश भर हिस्सों में होता इनकी लिखी ‘आदर्श रामलीला’ का मंचन
  • आवाज कडक़, याददास्त भी अच्छी, लेकिन खुद कह रहे हैं बस अब जाना है

एक साधक जो श्रीराम, कृष्ण और संतों को गाता है। एक लेखक जो रामचरित मानस आधारित रामकथा को नाट्य रुप में लाता है। एक गुरु जो अपने शिष्यों को व्यसनों से दूर करता है। एक संगीतकार जो जीवन के आखिर पड़ाव पर भी हारमोनियम मिलते ही जी भर कर गाने लगता है।

जाने की बात तो करता है, लेकिन आवाज कडक़ है और याददास्त भी आश्चर्यचकित करने वाली। जी हां, आज हम आपकों भगत राम कुमार से मिलवा रहे हैं।

उम्र के 92 साल पूरे कर चुके हैं। इनकी मुख्य पहचान इनके द्वारा लिखी गई आदर्श रामलीला से है। आदर्श रामलीला श्रीराम कथा का नाट्य लेखन है। जिसके शानदार संवाद और गीत उसे अलग ही ऊंचाई देते हैं।
आदर्श रामलीला के मंचन के कारण ही महम की रामलीला को प्रदेश भर में प्रसिद्ध माना जाता रहा है।

सैयद गुलाम हुसैन ‘महमी’ का राग
है जग मं मीत हमारा, बिछड़ा यार मिला दे रै
बड़े मस्त होकर अब भी गाते हैं।

1942 में की थी दसवीं

एक जनवरी 1928 को सेठ गौरीशंकर के घर जन्मे रामकुमार गर्ग महम के उस समय के चंद पढ़े लिखे लोगों में से एक हैं। इन्होंने दसवीं कक्षा 1942 में पास की थी। अपने हैडमास्टर मुश्ताक राय का नाम अब भी याद है। इनका विवाह रेश्मा देवी से हुआ था। जिन्होंने जीवनपर्यन्त भामती की भांति इनका साथ दिया। भगत जी उर्दू, अंग्रेजी और फारसी के जानकार हैं। इन्हें हिंदी लिखनी नहीं आती। रचनाएं उर्दू में लिखी है। बाद में सहयोगियों द्वारा हिंदी में लिखवाई गई हैं।

नहीं की अंग्रेजों की नौकरी

भगत जी बताते हैं कि उस समय उन्हें अच्छी नौकरियों के ऑफर आए थे। लेकिन अंग्रेजों की हुकूमत स्वीकार नहीं करना चाहते थे। इसलिए नौकरियां नहीं की। बाद में 1964 से 84 तक महम नगरपालिका में नौकरी की।

रामलीला के भीष्म पितामह हैं

महम में रामलीला के अधिकतर अच्छे कलाकार इन्हीं के शिष्य हैं। शुरुआत में रामलीला में खुद भूमिका भी निभाते थे। फिर निर्देशन करने लगे। जरुरत के अनुसार हर वर्ष रामलीला के नए गीत लिख देते थे। उन्होंने पहली रामलीला 1963 में की थी। सत्संग भी करते रहे।

किताबों में मिलूंगा
भक्त रामकुमार रामलीला के अतिरिक्त भक्ति गीतों, गजलों व कथा लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं। इनकी रुबाइयां और दोहे भी प्रसिद्ध हैं। आदर्श रामलीला के अतिरिक्त इनके द्वारा लिखी पुस्तकें श्री भगवत पुराण, श्री रविदास भक्ति सागर, भक्ति संगीत सागर, भक्ति गीत माला के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। रेडियों व दूरदर्शन से भी इनके गीत प्रसारित हो चुके हैं। खुद कहते हैं वे जाने के बाद किताबों में मिलेंगे।

अब जाने का वक्त आ रहा है

भक्त जी अपने पुत्र और पौत्रों के परिवार के साथ खुश हैं। परिवार के सेवा भाव की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं। उन्हें लोगों द्वारा अनदेखी किए जाने की दर्द भी है। उनका कहना है कि यहां प्रतिभा का सम्मान नहीं है। प्रतिभा का सम्मान नहीं होता है तो प्रतिभाएं नहीं पनपती हैं। उनका कहना है कि अब उनके जीवन का अंतिम वक्त आ रहा है। वे निराश व दु:खी नहीं है। वे कहते हैं

‘वे दिन हवा हुए जब पसीना भी गुलाब था

24c न्यूज की खबरें ऐप पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें 24c न्यूज ऐप नीचे दिए लिंक से

Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews

4 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

महम में 262 लोगों की आंखों की जांच हुई, 40 ने किया नेत्रदान

सेठ माईदयाल हवेली लगाया गया निशुल्क जांच शिविर आखों की जांच से बिमारियों का पता भी लगाया जाएगामहमसेठ माईदयाल...

बाबा मस्तनाथ मंदिर फरमाना में भक्ति गीतों पर झूमी महिलाएं

बहुअकबरपुर से आई महिलाओं का भक्ति दल विशेष आकर्षण का केंद्र रहा महमबाबा मस्तनाथ मंदिर फरमाना में शनिवार को...

डाक्टर शारदा का निधन,पंजाब का पुत हरियाणा का बेटा बनकर रहा ताउम्र

1966 में महम आए और यहीं के होकर रह गए महम, 16 अगस्त एक समय महम के प्रतिष्ठित डाक्टर...

महम के संकट मोचन हनुमान मंदिर में चोरी, दोनों दानपात्र तोड़े

मंदिर समिति के प्रधान ने कराया मामला दर्ज महम, 8 अगस्त चोरों ने महम के वार्ड छह में...

Recent Comments

error: Content is protected !!