अक्षमता के बाद भी हार नहीं मानी

एक लड़का जूडो सीखना चाहता था। अपनी इस चाहत को पूरा करने वह एक जापानी जूडो मास्टर के पास गया और उनसे निवेदन किया कि वे उसे जूडो सिखाये। जापानी जूडो मास्टर ने लड़के को ध्यान से देखा। उस लड़के का एक हाथ नहीं था। पूछने पर लड़के ने बताया कि एक कार दुर्घटना में उसने अपना बांया हाथ गंवा दिया लेकिन अपनी अक्षमता के बाद भी वह जूडो सीखना चाहता है।

जूडो सीखने की उसकी ललक देख जूडो मास्टर ने उसे अपना शिष्य बना लिया जूडो सीखते-सीखते लड़के को तीन महिने हो गए और इन तीन महिनों में मास्टर ने उसे जूडो का केवल एक ही मूव सिखाया। लड़का अच्छा कर रहा था। एक दिन वह मास्टर के पास जाकर बोला, “मास्टर, आपने मुझे अब तक जूडो का एक ही मूव सिखाया है। आपको नहीं लगता कि मुझे इसके दूसरे मूव भी आने चाहिए।”

इस पर मास्टर बोले, “ये एक एकमात्र मूव है, जो तुम्हें तुम जानते हो और तुम्हें बस यही जानने की ज़रुरत है।” उन पर भरोसा कर वह जूडो का प्रशिक्षण प्राप्त करता रहा।

कुछ महिने बीतने के बाद मास्टर लड़के को एक जूडो प्रतियोगिता में ले गए। इस प्रतियोगिता का पहला मुकाबला लड़के ने बड़ी ही आसानी से जीत लिया। दूसरे मुकाबले में भी उसे कोई मुश्किल नहीं हुई और वह बड़ी ही आसानी से जीत गया।

तीसरे मुकाबले में उसे कड़ी प्रतियोगिता का सामना पड़ा। तब लड़के वह एक मूव आजमाया, जो उसके मास्टर ने उसे सिखाया था। इस मूव के सामने उसके प्रतियोगी ने हार मान ली। लड़का प्रतियोगिता ने फाइनल में पहुँच चुका था। फाइनल में उसका मुकाबला जिस प्रतियोगी से होना था, वह अनुभवी और मंजा हुआ खिलाड़ी था। लड़के के लिए वो मुकाबला बहुत मुश्किल होने वाला था।

फाइनल में प्रारंभ से ही प्रतियोगी उस पर हावी हो गया। जब मुक़ाबला और आगे बढ़ा तो प्रतियोगी ने एक बड़ी भूल कर दी। लड़के को एक अच्छा मौका मिल गया और उसने अपना वही मूव अजमाया और कमाल की बात है कि इस मूव ने उसे मैच जिता दिया। लड़का अपनी पहली ही प्रतियोगिता का विजेता बन चुका था। जब वह मास्टर के साथ वापस लौट रहा था, तो वे दोनों प्रतियोगिता के हर मुक़ाबले और मूव की बात कर रहे थे

लड़के ने मास्टर से पूछा, “मास्टर जी, आपको कैसे पता था कि मैंने केवल एक मूव के भरोसे ये प्रतियोगिता जीत सकता हूँ?

मास्टर ने जवाब दिया, “तुम्हारी जीत दो कारणों से हुई है। पहली ये कि तुमने जूडो के सबसे मुश्किल मूव पर मास्टरी कर ली थी और दूसरी ये कि उस मूव से बचने का तुम्हारे प्रतियोगी के पास केवल एक ही तरीका था कि वह तुम्हारा बांया हाथ पकड़ ले।”

लड़के का बांया हाथ नहीं था। उसकी ये शारीरिक कमज़ोरी उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई थी।

कई बार हम अपनी कमियों के लिए भगवान से शिकायत करते हैं, अपनी परिस्थितियों, ख़ुद को या अपने परिवारजनों को दोष देते हैं। उस वक़्त हम ये नहीं समझ पाते कि हमारी कमियां एक दिन हमारी सबसे बड़ी ताकत भी बन सकती है। हम सब ख़ास और महत्वपूर्ण है। इसलिए कभी ये न सोचें कि हममें कोई कमज़ोरी या कमी है और स्वयं में कभी भी हीनता की भावना न लायें। अपना कर्म करते जायें। सफ़लता अवश्य मिलेगी।

आपका दिन शुभ हो!!!

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