जलभराव की स्थिति और अधिक बिगड़ने लगी
बुधवार को 30 एमएम हुई बारिश
महम
बुजुर्गों ने तालाबों का निमार्ण पानी का सहेजने के साथ-साथ बचने के लिए भी किया था। यही कारण था कि महम शहर के चारों ओर तालाबों की श्रृखंला थी। बसी बस्तियों ने तालाबों को लील लिया। कुछ पर अतिक्रमण हो गए तो कुछ अनदेखी के कारण पटने की कगार है। कुछ को विकास योजनाओं की भेंट चढ़ा दिया गया। ये कभी सोचा ही नहीं कि बारिश का पानी कहां जाएगा।
लौटती मानसून पूरे प्रदेश के साथ-साथ महम में भी परेशानी का कारण बन रही है। बुधवार को एक बार फिर जोरदार बारिश हुई। मिली जानकारी के अनुसार में महम 30 एमएम बारिश रिकार्ड की गई।
इस बार अच्छी बारिश के चलते महम के कई गांवों में पहले ही जलभराव की स्थिति बनी हुई थी। बुधवार की बारिश ने इस परेशानी को और अधिक बढ़ा दिया। बारिश के कारण नए बस स्टैंड, सैमाण चुंगी तथा अन्य स्थानों पर शहर में स्थिति खराब हो गई। कई-कई फुट पानी जमा हो गया।
इससे पहले भी जब-जब बारिश हुई महम में कई स्थानों पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। 25सी न्यूज आपके साथ 20 जुलाई को महम में हुई बारिश तस्वीरें भी सांझा कर रहा है।
मिट गए ये ऐतिहासिक
सैमाण चुंगी, नया बस स्टैंड और दीवान कालानी क्षेत्र के तालाब इतिहास बन गए हैं। घेऊ वाले तालाब पर माॅडल स्कूल और राजकीय बहुतकनीकी संस्थान बना दिया गया है। कसाइयों तालाब का बीच का कुछ हिस्सा बचा है वहां तक पानी पहुंचने का रास्ता ही नहीं बचा है। इस दिशा में ब्राह्मणों वाले तालाब पर गौशाला बन गई है। इसके अतिरिक्त जलभरत, खोजा वाला, मुरंड, दरबारी तालाब आदि सब किसी ना किसी योजना, अतिक्रमण या अनदेखी का शिकार हो चुके हैं।
भूल गए कि ये पानी के लिए थे
नई पीढ़ी भूल गई कि ये तालाब केवल जल स्त्रोत ही नहीं थे, बल्कि बारिश के पानी से बस्तियों को भी बचाते थे। तालाबांे को तो पाट लिया, लेकिन बारिश आने पर किसका बस था। आई और पानी भी बरसा। तालाब नहीं मिले तो गलियों मंे जमा होने लगा।
निकासी की व्यवस्था नहीं है
योजनाओं को अंतिम रूप दिए जाते समय इस ओर ध्यान नही दिया गया कि पानी की निकासी कैसे होेगी? सीवरेज व्यवस्था पहले से ही दुरूस्त नहीं है। इस ओर शीघ्र ध्यान दिया जाना चाहिए, अन्यथा समस्या विकराल हो जाएगी। । नजरिया/ 24c न्यूज/ इंदू दहिया 8053257789
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