बीरबल की सूझ-बुझ

बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था। तभी एक सिपाही बादशाह अकबर के समक्ष यह सन्देश लेकर आया की कोई सौदागर आया है जो विचित्र खिलौने लाया है। सौदागर का दावा है कि बादशाह या किसी ने भी आज तक ऐसे खिलौने न कभी होंगे और न कभी देखेंगे।

यह सुन कर बादशाह अकबर ने सौदागर को बुलाने की आज्ञा दी। सौदागर आया और प्रणाम करने के बाद अपनी पिटारी में से तीन पुतले निकाल कर बादशाह के सामने रख दिए और कहा कि “बादशाह सलामत यह तीनों पुतले अपने आप में बहुत विशेष हैं। पहले पुतले का मूल्य एक लाख मोहरें हैं, दूसरे का मूल्य एक हज़ार मोहरे हैं और तीसरे पुतले का मूल्य केवल एक मोहर है।”

बादशाह अकबर और दरवार के सभी लोगों ने उन पुतलो को देखा। बादशाह अकबर बोले “सौदागर हमें तो यह तीनों पुतले देखने में एक जैसे लग रहें हैं।”

सौदागर बोला, ” महाराज देखने में भले ही एक जैसे लगते हैं मगर वास्तव में एक दूसरे से बहुत अलग और बहुत निराले हैं।”

बादशाह अकबर ने तीनों पुतलों को एक बार फिर बड़े ध्यान से देखा। फिर बोले “देखने में तो कोई अन्तर नहीं लगता फिर मूल्य में इतना अन्तर क्यों?

सौदागर बोला- “महाराज माफ़ी चाहता हूँ, मैंने बीरबल की बुद्धिमता के बारे में बहुत सुन रखा है। यदि बीरबल इसकी पहचान कर सकें कि कौन सा पुतला कितने का है तो मैं मानू!”

बादशाह अकबर ने बीरबल की तरफ देखा इस प्रश्न ने बीरबल को भी बहुत परेशान कर दिया।

हार के दरबार में सभी लोगों को वो तीनों पुतले दिखाए और कहा कि इन में क्या अन्तर है मुझे बताओ। तीनों पुतलों को घुमा फिराकर सब तरफ से देखा मगर किसी को भी इस गुत्थी को सुलझाने का जवाब नहीं मिला।

जब बादशाह ने देखा कि सभी चुप हैं तो उस ने दुबारा वही प्रश्न अपने सबसे बुद्धिमा मंत्री बीरबल से पूछा!

बीरबल ने पुतलों को बहुत ध्यान से देखा और एक सेवक को तीन तिनके लाने की आज्ञा दी।

तिनके आने पर बीरबल ने पहले पुतले के कान में तिनका डाला। सब ने देखा कि तिनका सीधा पेट में चला गया, थोड़ी देर बाद पुतले के होंठ हिले और फिर बन्द हो गए।

अब बीरबल ने अगला तिनका दूसरे पुतले के कान में डाला। इस बार सब ने देखा कि तिनका दूसरे कान से बाहर आ गया और पुतला ज्यों का त्यों रहा। ये देख कर सभी की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि आगे क्या होगा।

अब बीरबल ने आखिरी तिनका तीसरे पुतले के कान में डाला। सब ने देखा कि तिनका पुतले के मुँह से बाहर आ गया है और पुतले का मुँह एक दम खुल गया। पुतला बराबर हिल रहा है जैसे कुछ कहना चाहता हो।

बादशाह अकबर के पूछ्ने पर कि ये सब क्या है और इन पुतलों का मूल्य अलग अलग क्यों है, बीरबल ने उत्तर दिया।

जहाँपनाह, बुद्धिमान व्यक्ति  सुनी सुनाई बातों को अपने तक ही रखते हैं और उनकी पुष्टी करने के बाद ही अपना मुँह खोलते हैं। यही उनकी विशेषता है। पहले पुतले से हमें यही ज्ञान मिलता है और यही कारण है कि इस पुतले का मूल्य एक लाख मोहरें है।

कुछ लोग सदा अपने में ही मग्न रहते हैं। हर बात को अनसुना कर देते हैं। उन्हें अपनी वाह-वाह की कोई इच्छा नहीं होती। ऐसे लोग कभी किसी को हानि नहीं पहुँचाते। दूसरे पुतले से हमें यही ज्ञान मिलता है और यही कारण है कि इस पुतले का मूल्य एक हज़ार मोहरें है।

कुछ लोग कान के कच्चे और पेट के हलके होते हैं। कोई भी बात सुनी नहीं कि सारी दुनिया में शोर मचा दिया। इन्हें झूठ सच का कोई ज्ञान नहीं, बस मुँह खोलने से मतलब है। यही कारण है कि इस पुतले का मूल्य केवल एक मोहर है।

यह सुन सौदागर और दरवार के सभी लोग  बीरबल की वाही वाही करने लगे। बादशाह अकबर ने अपने प्रिय मंत्री और सलाहकार को गले लगा लिया।

आपका दिन शुभ हो!!!!!

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