1966 में महम आए और यहीं के होकर रह गए

महम, 16 अगस्त
एक समय महम के प्रतिष्ठित डाक्टर एवं समाजसेवी रहे डा. बीसी शारदा का निधन हो गया है। मंगलवार की रात उन्होंने अपने निवास स्थान पर अंतिम सांस ली। बुधवार को उनका पंजाबी राम बाग में अंतिम संस्कार किया गया। खास बात यह है कि जब हरियाणा पंजाब से अलग हुआ तो उन्होंने अपने पैतृक राज्य पंजाब को नहीं हरियाणा को चुना। उन दिनों डा. शारदा बहअकबरपुर डिस्पेंसरी में बतौर सरकारी डाक्टर तैनात थे।
डा. शारदा का जन्म 26 मई 1931 खन्ना मंडी पंजाब में हुआ था। सरकारी सेवा के दौरान वे भिवानी के दुल्हेड़ा तथा बहुअकबरपुर की डिस्पेंसरी में रहे। हरियाणा अलग होने के बाद उनका तबादला वापिस पंजाब में हो गया। बहुअकबरपुर के ग्रामीणों के आग्रह तथा जिद् के चलते उन्होंने पंजाब ना जाने का निर्णय लिया और महम में निजी क्लीनिक खोल लिया। चिकित्सा सेवाओं के साथ-साथ समाजिक कार्यों में भी उनका अतुलनीय योगदान है।
वर्तमान प्रतिष्ठित एसकेजी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल को एसकेजी पाठशाला में आरंभ करने वाली समिति के पहले प्रधान डा. शारदा ही थे। महम में भारत विकास परिषद् की स्थापना भी उन्हीं के प्रयासों से हुई थी। वे इस संस्था के पहले प्रधान नियुक्त हुए थे। महम के आजाद चौक पर नेताजी सुभाष की प्रतिमा को स्थापित करने वाली समिति की अगुवाई भी डा. शारदा ने की थी। इसके अतिरिक्त अन्य समााजिक कार्यों तथा शहर के स्तर पर होने वाले महत्वपूर्ण फैंसलों में उनकी भूमिका अग्रणी रहती थी। डा. शारदा रोहतक के हिंदु कालेज की शिक्षा समिति तथा सारसवत ब्राह्मण धर्मशाला कुरूक्षेत्र के सदस्य भी थे। डा. शारदा को पूर्व सीएम चौ. भूपेंद्र हुड्डा के महम के नजदीकियों में माना जाता था।
डा. शारदा अपने पीछे अपनी पत्नी कमला शारदा, पुत्र डा. सुदेश शारदा, पुत्रवधु डा. सीमा शारदा तथा दो पौत्र छोड़ कर गए हैं। एक पौत्र सर्जन है जबकि दूसरा इंजीनियर। डा. शारदा के नाम से ही उनकी क्लीनिक अभी भी महम में है। डा. शारदा के निधन पर जनप्रतिनिधियांे तथा गणमान्य व्यक्तियों शोक व्यक्त किया है।

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