लोगों से सम्मान की अपेक्षा न करें
एक बार एक युवक को लगता था कि लोग उसके गुणों सम्मान नहीं करते। उसकी प्रतिभा को अनदेखा कर रहे हैं। वह बेचैन रहता।
एक दिन वह एक फकीर के पास गया और उसने अपनी समस्या बताई। फकीर ने अपनी अंगूठी निकाल कर युवक को दे दी और कहा- ‘इस अंगूठी को बेच कर आओ। ध्यान रखना अगूंठी की कीमत सोने की एक अशर्फी से कम नहीं लेनी है।’
युवक अंगूठी लेकर कई जौहरियों के पास गया, किसी ने भी उस अंगूठी की कीमत सोने की अशर्फी नहीं लगाई। जहां भी वह गया, सबने अंगूठी की कीमत अशर्फी से कम ही लगाई।
युवक वापिस फकीर के पास आया और बताया कि किसी ने भी अंगूठी की कीमत सोने की एक अशर्फी नहीं दी।
अब फकीर ने युवक को एक अन्य वृद्ध जौहरी के पास भेजा, जिसके पास युवक नहीं गया था। इस बार फकीर ने कहा-‘अंगूठी को किसी भी कीमत पर देना नहीं है। सिर्फ कीमत पूछनी है।’
युवक ने जब वृद्ध जौहरी को अंगूठी दिखाई और कीमत पूछी तो जौहरी ने कहा कि मैं इस अंगूठी की कीमत एक हजार सोने की अशर्फी दे सकता हूं। मेरे पास इससे ज्यादा नहीं हैं, नहीं तो और भी दे देता।
युवक हैरान हो गया और वापिस फकीर के पास आया और उसने बताया कि वह जौहरी तो इस अंगूठी की कीमत एक हजार अशर्फी देने के लिए तैयार था।
अब फकीर ने युवक ने कहा कि हर व्यक्ति, गुणों की कीमत नहीं समझता। आप हर किसी से ये अपेक्षा रखना छोड़ दो कि वो आपके गुणों का आदर करेंगा।
बस अपना काम करें, लोगों से सम्मान की अपेक्षा करेंगे परेशान ही रहेंगे। गुणी व्यक्ति ही गुणों की कीमत समझ सकता है।
आपका दिन शुभ हो
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