जान मुरे की सीख
एक बार प्रसिद्ध लेखक जान मुरे अपने लिखने के कार्य में व्यस्त थे। तभी दो महिलाएँ जन-कल्याण से संस्था के लिए उनसे चंदा माँगने आई। अपना लेखन कार्य बीच में छोड़ने के बाद जान मुरे ने वहाँ जल रही दो मोमबत्तियों में से एक को बुझा दिया।
यह देखकर उनमें से एक महिला बुदबुदाई, “यहाँ कुछ मिलने वाला नहीं है।” जान मुरे को जब उन महिलाओं के आने के उद्देश्य का पता चला, तो उन्होंने खुशी-खुशी से 100 डॉलर उन्हें दे दिये।
महिलाओं के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, उनमें से एक बोली-“हमें तो आपसे एक सेंट भी पाने की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि आपने हमारे आते ही एक मोमबत्ती बुझा दी थी।”
जान मुरे ने उत्तर दिया, “अपनी इसी बचत की आदत के कारण ही मैं आपको 100 डॉलर देने में समर्थ हुआ हूँ। मेरे विचार से आपसे बातचीत करने के लिए एक मोमबत्ती का प्रकाश ही काफी है।”
महिलाएं बचत के महत्व को समझ चुकी थीं। महिलाएँ तो बचत के महत्व को समझ गयीं, लेकिन आप कब समझेंगे? जल्दी समझिए वरना देर हो जाएगी और फिर पछताने से कुछ नहीं होता जब चिड़िया खेत चुग जाती है।
आपका दिन शुभ हो!
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