धनवान एक सुई को भी नहीं ले सका मृत्यु के पार
एक बार धनवान आदमी था। उसके पास दौलत के अंबार थे। वह एक फकीर के पास गया और उसने फकीर से कहा कि महाराज मेरे पास दौलत की कोई कमी नहीं है। आप जो भी कहें वह मैं अपनी दौलत से खरीद सकता हूं। आप बस केवल आदेश दें।
फकीर ने कहा कि मुझे तो आप धनवान नजर नहीं आते। मेरे पास बहुत से ऐसे लोग आते हैं जिनके पास बहुत दौलत होती है, लेकिन वास्तव में बहुत गरीब होते हैं। ऐसे ही मेरे पास बहुत से ऐसे लोग आते हैं, जो बहुत गरीब होते हैं, लेकिन वे वास्तव में धनवान होते हैं।
लेकिन फिर आप कहते हो तो मै मान लेता हूं कि आप धनवान हैं। आप ऐसा करो कि ये मेरी सुई अपने पास रख लो। जब मेरी मृत्यु हो जाए तो यह सुई मुझे दे देना ताकि इसे मैं अपने साथ ले जा सकूं।
धनवाद व्यक्ति असंमजस में पड़ गया। उसे कुछ नहीं सूझा। उसने फकीर से कुछ समय लिया और चला गया।
धनवान व्यक्ति एक से एक विद्वान व धर्मात्मा के पास गया। उनसे पूछा कि मैं इस सूईं को फकीर के मरने के बाद उसे कैसे दे सकता हूं?
सबने कहा कि सूईं तो कुछ भी मृत्यु के पार ले जाना संभव ही नहीं है। अतः आप इसे फकीर को पास लौटा दो।
धनवाद फकीर के पास गया और बोला महाराज मुझसे भूल हुई। दौलत के नशे मैं भूल गया था कि जिसे वह दौलत समझ रहा था, वह वास्तव में कुछ भी नहीं है।
जब हम एक सुईं को भी मृत्यु से पार नहीं ले जा सकते तो ऐसी दौलत का क्या फायदा?
फकीर ने कहा यही मैं आपको समझाना चाहता था। जो हम मृत्यु के पार नहीं ले सकते वह अपना नहीं है। (ओशो प्रवचन)
आपका दिन शुभ हो!!!!!
ऐसे हर सुबह एक जीवनमंत्र पढने के लिए Download 24C News app: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.haryana.cnews