प्रेरक कहानी
एक सर्द गहरी अंधेरी रात में एक चोर एक फकीर के झोपड़े में चोरी के लिए घुस गया। उसने फकीर के पास जो कपड़े, बर्तन या भीक्षा से मिली वस्तुएं थी, चुरा ली।
फकीर जाग रहा था, लेकिन जानबुझकर सोने का नाटक करता रहा। चोर ज्यों की चोरी की वस्तुएं लेकर निकलने लगा
फकीर ने चोर से कहा, ‘भाई आप मेरा सारा सामान ले जा रहे हो। कम से कम मुझे धन्यवाद तो दे जाओ।’
चोर डर गया। फकीर ने कहा, ‘डरो मत, बस धन्यवाद कर दो। आपने मेरा सामान लिया है, क्योंकि आपकों जरुरत होगी तभी इतनी सर्द और गहरी रात में आप घर से निकले हो। वो भी एक फकीर के झोपड़े से सामान चुराने।’
चोर ने जल्दी में फकीर का धन्यवाद किया और चला गया।
कुछ दिन के बाद चोर पकड़ा गया। पुलिस के सामने उसने कई चोरियों में से फकीर के झोपड़े वाली भी एक चोरी के बारे में भी बता दिया।
मामला अदालत पहुंचा तो फकीर को गवाही के लिए अदालत बुलाया गया।
फकीर से पूछा गया कि क्या इस व्यक्ति ने आपके यहां चोरी की थी।
फकीर ने कहा, ‘नहीं इस व्यक्ति ने मेरे यहां कोई चोरी नहीं की। हां ये व्यक्ति एक रात मेरे झोपड़े में आया था। इसको कुछ सामान की जरुरत थी। इसने ले लिया। बदले में इसने मेेरा धन्यवाद कर दिया। बस हिसाब बराबर। कोई चोरी नहीं हुई।’
चोर ने तुरंत फकीर के पैर पकड़ लिए। उसने सौगंध ली कि उसके बाद वह कभी चोरी नहीं करेंगा। फकीर की माफी ने चोर का जीवन बदल दिया।
सजा अपराधी को सजा देती, लेकिन माफी अपराध को ही खत्म कर सकती है।
ओशो प्रवचन
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