महम की ‘ऐतिहासिक झलक’ श्रृखंला का भाग दो
किसने बनाया था यह घाट?
सुरक्षित है घाट पर लगा पत्थर
महम के एक ऐतिहासिक तालाब पर एक सुंदर बारादरी जनाना घाट बना था। वक्त की गर्दिश ने घाट को तो खंड्हर में बदल दिया, लेकिन 89 साल भी घाट को बनाने वाले का नाम नहीं मिटा पाए। गंदगी और विरानी के बीच, घाट पर लगे पत्थर ने इस नाम को आज भी सहेज कर रखा हुआ है।
महम की ऐतिहासिक झलक श्रृंखला के दूसरे भाग में आज 24सी न्यूज आपकों यह घाट भी दिख रहा है और वह पत्थरभी पर जिस पर सुरक्षित है इसके तामीरदार का नाम।
महम केे पुराने बस स्टैंड के पास स्थित जलभरत तालाब प्रदेश के ऐतिहासिक तालाबों में से एक है। इस तालाब और इसके परिसर का अपना एक शानदार इतिहास है, लेकिन आज आपको केवल उस घाट के बारे में बता रहे हैं, जहां महिलाएं स्नान के लिए आती थी। यह घाट जलभरत तलाब के पितरु वाले कुएं के ठीक पीछे बना है। जो अब लगभग खंड्हर में तबदील हो चुका है।
ये लिखा है पत्थर पर
घाट के पत्थर पर लिखा है, बारादरीमय घाट जनाना तामिरकरदा लाला कुंदन लाल उर्फ चेला वल्द लाला शंकर लाल वैश्य अग्रवाल मारूफ भवानीदत्त के सम्वत् 1988। अब सम्वत् 2077 है।
साफ है यह घाट लाला कुदनलाल उर्फ चेला नाम के किसी वैश्य अग्रवाल ने बनवाया था। घाट के चारों और 12 खंभ का बरामदा था, इसीलिए घाट को बारादरीमय घाट का नाम दिया गया।
अब क्या है स्थिति?
अब इस ऐतिहासिक धरोहर की स्थिति अत्यंत दयनीय है। घाट और बरामदों की छतों की कड़ियां तक उखाड़ ली गई हैं। चूने में बनी अत्यंत मजबूत दीवारें भी ढहने लगी हैं। बहुत अधिक गंदगी फैली है, आसपास झाड़ियां उगी हैं।
दर्शनीय था यह घाट
वरिष्ठ नागरिक शिवराज गोयत ने बताया कि यह घाट बहुत ही सुंदर था। यहां वे खेलते थे। महम के किसी भी तालाब पर इससे सुंदर घाट नहीं था। शरारती तत्वों ने घाट की कड़ियां उनके समय में ही उखाड़नी शुरु कर दी थी। अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो शीघ्र ही यह ऐतिहासिक धरोहर पूर्णतया नष्ट हो जाएगी।
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