पिता-पुत्र की कहानी
एक बार एक वृद्ध पिता और उसका पुत्र कोल्हू खींच रहे थे। एक व्यक्ति वहां से गुजरा उसने उन्हें कहा कि आप खुद कोल्हू को खींच रहे हैं। बैल क्यों नहीं जोत लेते। वह वृद्ध तुरंत उस व्यक्ति को एक ओर ले गया उसने उससे कहा ‘अब बताओ क्या कहना चाहते हो।’
उस व्यक्ति ने कहा आप खुद कोल्हू को खींच रहे हैं। आप बैल क्यों नहीं ले लेते। आपका समय भी बचेगा और मेहनत भी कम होगी और फिर आप वृद्ध हैं आपको आराम भी मिलेगा।
वृद्ध ने कहा कि मेरे पास उतना ही तेल निकलना आता है जितना हम दोनों मिलकर निकाल लेते हैं। अगर बैल ले लेंगे तो तेल जल्दी निकल जाएगा और मेरा जवान पुत्र खाली हो जाएगा। मैने उससे कई बार कुछ और काम पर लगाने का प्रयास किया, लेकिन वह कोई अन्य काम नहीं करता। अगर बैल ले आऊंगा तो वो खाली हो जाएगा और उसकी जवान ऊर्जा किसी गलत रास्ते में निकल पड़ेगी।
जो आप बता रहे हो वो मैं भी जानता हूं, लेकिन ये भी जानता हूं कि जवान ऊर्जा का पूर्ण प्रयोग भी जरुरी है, इसलिए बैल, समय आने पर ही लूंगा।
व्यक्ति को समझ आ गया ‘जीवन का असली पाठ पिता ही पढ़ा सकता है’
आपका दिन शुभ हो!
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haan lekin In Present aisa hota nhi hai,
agr koi MAA baap aisa krte hai to
bche unhe glt smhjte hai