कोरोना के नियमों का पूरा किया पालन
शहर के मंदिरों में कावड़ आने की नहीं है कोई जानकारी
महम
चाहे पाबन्दियां हों या महामारी का भय। श्रद्धा और भक्ति पर भय का असर नहीं होता। इस बार जब कावड़ लाने पर पाबंदी थी। कावड़ियों के लिए कोई भंडारा या विश्राम स्थल नहीं बना था। बीच राहों पर हर-हर महादेव के नारे नहंी गुंज रहे थे। फिर भी फरमाणा के चार युवक कावड़ लेकर आए।
इन्होंने कोराना महामारी से संबंधित सभी नियमों का पालन किया। सावन के शिवरात्रि के अवसर पर शुक्रवार को गांव के आकर मंदिरों में जलाभिषेक किया। कावड़ लाने वाले युवकों में सुमित बिसला, अजय, सन्नी व सोहन शामिल हैं।
कारोना का टीका लगवाया तथा करोना टैस्ट करवाया
सुमित ने बताया कि उत्तराखंड में प्रवेश के लिए करोना टैस्ट का सर्टिफिकेट आवश्यक था। साथ ही करोना का टीका लगवाना भी जरूरी था। उन्होंने ये दोनों कार्य किए। उन्होंने उत्तराखंड प्रवेश के समय चैक किया गया था। इसके बाद़ ऋषिकेश में उनकी चैकिंग हुई थी। सोशल डिस्टेसिंग व मास्क जैसे नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा था। ज्यादा भीड़ भी नहीं थी।
पांच प्रतिशत भी कावड़ नहीं आई
सुमित ने बताया कि इस बार उनकी 17वीं कावड़ है। इस बार तो गत वर्षों की अपेक्षा पांच प्रतिशत कावड़िए भी नहंी देखे गए। उन्हें महम क्षेत्र से कोई अन्य कावड़िया नहीं मिला। हो सकता है कोई लाया हो, लेकिन उनकी जानकारी में नहीं है।
व्यवस्था नहीं सहयोग था इस बार
सुमित ने बताया कि इस बार रास्ते में पहले की तरह कोई कावड़ शिविर नहंी था। उन्होंने अपनी जेब से ही होटलों पर रूक कर खाना खाया है। हालांकि रास्ते में आम आदमी उनके साथ अत्यंत श्रद्धाभाव का बर्ताव कर रहे थे। जगह-जगह लोगों ने उन्हें उनके घर कुछ देर ठहरने, विश्राम करने तथा खाना-आदि खाने का आग्रह किया।
श्रद्धालुओं ने रखा व्रत, किया जलाभिषेक
बेशक कावड़ियों के शिवघोष से आसमान और गलियां गुजायमना नहीं हुई हों, लेकिन श्रद्धालुआंे ने शिवरात्रि का व्रत रखा और मंदिरों में जलाभिषेक किया। दोपहर तक मंदिरों में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रही। मनसा देवी मंदिर के पुजारी शिव शंकर शुक्ल ने बताया कि सुबह ही श्रद्धालुओं का आना आरंभ हो गया था।24c न्यूज/ इंदु दहिया 8053257789
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